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जानिए रिलायंस जियो का मुकाबला करने में कितनी सक्षम हैं अन्य टेलीकॉम कंपनियां

रिलायंस जियो ने 5 सितंबर को अपनी 4जी सेवाओं की शुरुआत कर देश के दूरसंचार उद्योग में हलचल मचा दी है. कंपनी ने नि:शुल्क वॉयस कॉल के साथ-साथ सस्ते डेटा प्लान की घोषणा की है. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली खबर यह है कि वॉयस सेवाएं यानी फोन कॉल की सेवाएं तो हमेशा मुफ्त रहेंगी.
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NDTV Profit हिंदी10:18 PM IST, 23 Sep 2016NDTV Profit हिंदी
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रिलायंस जियो ने 5 सितंबर को अपनी 4जी सेवाओं की शुरुआत कर देश के दूरसंचार उद्योग में हलचल मचा दी है. कंपनी ने नि:शुल्क वॉयस कॉल के साथ-साथ सस्ते डेटा प्लान की घोषणा की है. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली खबर यह है कि वॉयस सेवाएं यानी फोन कॉल की सेवाएं तो हमेशा मुफ्त रहेंगी.

ऐसे समय जबकि टेलीकॉम कंपनियों का कारोबार वॉयस सेवाओं के भुगतान पर टिका हुआ है, जियो का यह ऐलान अन्य कंपनियों के लिए खतरे की घंटी माना जा रहा है. इसे समझने के लिए इतना ही काफी है कि बाजार में पहले नंबर की टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल के राजस्व का 70 फीसदी हिस्सा फिलहाल वॉयस कॉल से आता है.

निवेश के स्तर पर जियो सबसे आगे
रिलायंस जियो ने 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ अपनी सेवाओं की शुरुआत की है. इतना ही नहीं, आगामी एक अक्टूबर को होने वाली मेगा स्पेक्ट्रम की नीलामी से पहले जियो ने 6,500 करोड़ रुपये पेशगी के तौर पर जमा भी करा दिए हैं. जियो की आक्रामक रणनीति को चुनौती देने के लिए टेलीकॉम बाजार में प्रतिस्पर्धा की बाढ़ आ गई है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वोडाफोन ने अपनी भारतीय इकाई में पूंजी आधार को मजबूत बनाने के लिए अप्रैल के बाद से 47,700 करोड़ रुपये डाले हैं. कंपनी के पास लगभग 20 करोड़ उपभोक्ता हैं. वहीं, भारत में सबसे पहले 4जी सेवा शुरू करने वाली कंपनी भारती एयरटेल ने अपने नेटवर्क को आधुनिक बनाने के लिए 60,000 करोड़ रु. के निवेश का ऐलान किया है.

रिलायंस ने अत्याधुनिक तकनीकी एलटीई पर खेला दांव
मुकेश अंबानी ने भविष्य की प्रौद्योगिकी एलटीई में भारी निवेश किया है. जीएसएम, जीपीआरएस और ऐज जैसे वायरलेस नेटवर्को के बीच संचार के इन मानकों की ही अगली कड़ी का नाम एलटीई है. एलटीई यानी लॉन्ग टर्म इवॉल्यूशन. यह वायरलेस नेटवर्कों को जोड़ने का एक नया प्लेटफार्म है.

रिलायंस जियो का दावा है कि उसके पास 72% आबादी को 4G एलटीई सेवाएं मुहैया करवाने लायक ढांचागत क्षमता है. एक अनुमान के मुतबिक, रिलायंस जियो अब तक तीन लाख सर्किट किलोमीटर फाइबर बिछा चुकी है, जिसका इस्तेमाल 5जी के लिए भी किया जा सकता है.

एलटीई अधिकतर मोबाइल उपकरणों के लिए उपयुक्त और सहज है. दूसरी दूरसंचार कंपनियों एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया ने भी 4जी एलटीई सेवाएं शुरू कर दी हैं, लेकिन रिलायंस जियो इकलौती सेवाप्रदाता कंपनी है जिसका समूचा नेटवर्क एलटीई सक्षम है. यह आइपी या इंटरनेट प्रोटोकॉल पर आधारित है, जिसमें डेटा 'पैकेट' के रूप में भेजा जाता है. इसके चलते एलटीई डेटा संचार के मामले में ज्यादा सक्षम तकनीक हो जाती है. जैसे-जैसे क्षमता बढ़ती है, कई और सेवाएं देना मुमकिन हो जाता है और पहले से बेहतर गुणवत्ता से.

स्पेक्ट्रम के लिहाज से जियो मजबूत स्थिति में
फिलहाल सिर्फ जियो और एयरटेल की ही 4जी सेवाएं पूरे भारत में हैं. जियो इकलौती ऐसी कंपनी है, जिसके पास वॉयस ओवर एलटीई (वोल्ट) प्रौद्योगिकी है. यह वॉयस डेटा के हस्तांतरण के लिए इंटरनेट आधारित प्रौद्योगिकी है, जो बेहतर कॉल गुणवत्ता को सुनिश्चित करती है. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड में (एक ऐसी फ्रीक्वेंसी जिससे एलटीई टेलीफोनी सेवाएं प्रसारित हो सकती हैं) अखिल भारतीय स्पेक्ट्रम 2010 में ही हासिल कर लिया था. बाद में 2014 में उसने 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड (जो एलटीई सेवाओं के लिए ज्यादा उपयुक्त माना जाता है) खरीद लिया और 2015 में 800 व 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में और ज्यादा स्पेक्ट्रम खरीद लिया, जिससे इन दो बैंडों में देश के 22 सर्किलों में 20 सर्किलों में उसकी मौजूदगी बन गई.

जियो की क्षमता के मुकाबले एयरटेल फिलहाल 15, आइडिया 10 और वोडाफोन आठ सर्किलों में 4जी सेवाएं दे पाने में सक्षम हैं. जियो अपने समूचे स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल एलटीई सेवाओं के लिए कर सकता है, लेकिन उसके प्रतिद्वंद्वी, जो अपने मौजूदा स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल 2जी और 3जी सेवा के लिए कर रहे हैं, उनके पास 4जी के लिए क्षमता कम रह जाएगी.

इस तरह से बाजार के मौजूदा खिलाडिय़ों को अपने ग्राहकों को बनाए रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा. उनके ग्राहक भी अब बेहतर सेवाओं की मांग करेंगे. यह देखना भी दिलचस्प होगा कि कंपनियां वॉयस सेवाओं के लिए जियो के नए मानदंड (मुफ्त) से कैसे निपटती हैं.

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