जबरदस्त ढांचागत सुविधाओं और एक वैश्विक मुद्रा के लिए अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ चीन 70 साल पुरानी उस वैश्विक अर्थव्यवस्था को बदलने की दिशा में है, जो अमेरिकी आर्थिक शक्ति के आधार पर बनी है।
इस सप्ताह वाशिंगटन में हुई विश्व बैंक और मुद्रा बैंक की ग्रीष्मकालीन बैठकों में चीन की बढ़ती ताकत की पुष्टि की गई। इन दो संस्थानों की 1944 में स्थापना के बाद से ही इनके द्वारा अमेरिका की आर्थिक दूरदृष्टि का प्रचार किया जाता रहा है।
विश्वबैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम ने नए एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक के लिए उठाए गए चीन की पहल को 'बहुपक्षीय व्यवस्था की दिशा में एक साहसिक कदम' बता कर उसकी सराहना की, जबकि कुछ लोग इसे विश्व बैंक के प्रतिद्वंद्वी संस्थान के तौर पर देख रहे हैं।
हालांकि किम ने जोर दिया कि उन्हें विश्वबैंक और एआईआईबी के मिलकर काम करने की उम्मीद है। वाशिंगटन ने एआईआईबी में शामिल होने से मना कर दिया है, जबकि करीब पांच दर्जन अन्य देशों ने इस बैंक का हिस्सा बनने के लिए चीन के पास आवेदन किया है।
आलोचकों को इस बात की आशंका है कि नया विकास बैंक गरीब देशों को आसान शर्तों एवं कुछ पाबंदियों के साथ कर्ज की पेशकश के मामले में विश्व बैंक को चुनौती देगा।