देश के अब तक के सबसे भारी संचार उपग्रह जीसेट-10 को शनिवार को दक्षिण अमेरिका के फ्रेंच गुयाना स्थित कौरौ लांचपैड से एरियन-5 रॉकेट के जरिए सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। यह उपग्रह दूरसंचार, डायरेक्ट-टू-होम प्रसारण और नागरिक उड्डयन की जरूरतें पूरी करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)द्वारा निर्मित जीसेट-10 अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह है। इसका वजन 3,400 किलोग्राम वजन है। यह नवम्बर से काम करने लगेगा और यह 15 वर्ष तक काम करता रहेगा। इसके निर्माण पर प्रक्षेपण खर्च और बीमा राशि सहित 750 करोड़ रुपये (13.5 करोड़ डॉलर से अधिक) की लागत आई है।
इसरो के बेंगलुरू मुख्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि यूरोपियन एरियन-5 रॉकेट ने 3,400 किलोग्राम वजन वाले उपग्रह जीसेट -10 को प्रक्षेपण के 30 मिनट और 45 सेकेंड बाद अंडाकार भूसमकालिक स्थानांतरण कक्ष में पहुंचाया।
फ्रेंच गुयाना दक्षिण अमेरिका में है और यूरोपियाई अंतरिक्ष केंद्र कौरौ भी वहीं पर स्थित है। उपग्रह के स्थानांतरण कक्ष में पहुंचने के तुरंत बाद कर्नाटक के हासन स्थित इसरो के मुख्य नियंत्रण केंद्र ने जीसेट -10 की कमान और नियंत्रण कार्य संभाल लिया।
इसरो के मुताबिक, उपग्रह की कार्यक्षमता की प्रारंभिक जांच विभिन्न उपप्रणालियों पर की गई और सभी मापदंडों पर इसे संतोषप्रद पाया गया।
इसके बाद ऑनबोर्ड प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करते हुए उपग्रह को पृथ्वी और सूर्य की ओर उन्मुख किया गया। इस उपग्रह की संचालन बेहतर स्थिति में है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि अगले पांच दिन बाद उपग्रह का कक्ष बढ़ाया जाएगा और इसे पृथ्वी के स्थिर कक्ष में ले जाया जाएगा। यह कक्ष भूमध्यरेखा से लगभग 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर है। इसके बाद उपग्रह में लगे दो सौर पैनलों को संचालित किया जाएगा।
इसरो ने बताया कि सभी परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे होने के बाद यह उपग्रह इस वर्ष नवम्बर तक संचालन के लिए तैयार हो जाएगा। जीसेट-10 के संचालन की अवधि लगभग 15 वर्ष रहेगी। इसे इनसेट-4ए और जीसेट-12 के साथ जोड़ा जाएगा।
इसे भारत के 101वें अंतरिक्ष अभियान 'अच्छा स्वास्थ्य' के तहत प्रक्षेपित किया गया। यह उपग्रह नवम्बर तक काम करने लगेगा।
बयान के अनुसार, "जीसेट-10 उपग्रह में 30 संचार अभिग्राही हैं। 12 कू-बैंड में, 12 सी-बैंड में और छह अभिग्राही विस्तारित सी-बैंड में लगे हैं। इसके अलावा इसमें एक नकारात्मक अंतरिक्ष उपकरण 'गगन' लगाया गया है जो परिष्कृत शुद्धता के जीपीएस संकेत मुहैया कराएगा। भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण इस उपकरण का उपयोग नागरिक उड्डयन की जरूरतें पूरी करने के लिए कर सकेगा।"
'जीपीए एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन' को संक्षेप में गगन कहा जाता है। यह उपग्रह शनिवार को दोपहर 2.48 बजे प्रक्षेपित किया गया।
इसरो ने बताया कि मई 2011 में जीसेट-8 के प्रक्षेपण के बाद यह दूसरा उपग्रह है जिसे अंतरिक्ष उपकरण गगन के साथ इनसेट या जीसेट उपग्रह समूह में शामिल किया गया है।
जीसेट-10 की लागत प्रक्षेपण खर्च और बीमा राशि सहित 750 करोड़ रुपये (13.5 करोड़ डॉलर से अधिक) है।