केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की बैठक में इससे जुड़ी पेचीदगियों पर चर्चा हुई. बैठक में केंद्र और राज्यों के बीच थ्रेसहोल्ड लिमिट पर सहमति बन गई है.
जीएसटी काउंसिल की बैठक में ये तय हुआ है कि 20 लाख सालाना से कम का कारोबार जीएसटी के दायरे में नहीं आएगा, वहीं उत्तर-पूर्वी राज्य और दूसरे पहाड़ी राज्यों में 10 लाख से कम का कारोबार इस कानून के दायरे से दूर रहेगा.
इसमें यह भी तय किया गया कि जिन कंपनियों का सालाना टर्नओवर 20 लाख से डेढ़ करोड़ के बीच का है, उन पर लगने वाले जीएसटी का आंकलन राज्य सरकार के अधिकारी करेंगे, जबकि डेढ़ करोड़ से ज़्यादा का कारोबार करने वाले उद्यमों में दोहरे नियंत्रण की व्यवस्था रहेगी, यानी टैक्स पर केस के हिसाब से राज्य सरकार और केंद्र दोनों फैसला लेंगे. बैठक में यह भी तय किया कि मुआवजा और जीएसटी दरें लागू होने के बाद राज्यों को होने वाले राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देने का आधार वर्ष (बेस इयर ) 2015-16 होगा.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सभी उपकर जीएसटी में समाहित होंगे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक 30 सितंबर को होगी, इसमें मुख्य तौर पर राज्यों को दिए जाने वाले मुआवजे के प्रारूप और मापदंडों को तय किया जाएगा.