केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित कराने के लिए मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में है। आजादी के बाद का सबसे बड़ा टैक्स सुधार बता रही सरकार इस बिल में कुछ संशोधन पर विचार कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक, आगामी गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में बदलावों पर चर्चा के लिए सोमवार की शाम को मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक बुलाई।
सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि बैठक में इस बिल में बदलावों पर चर्चा होगी, ताकि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को 1 अप्रैल, 2016 से टैक्स सुधार लागू करने के लिए संविधान में संशोधन के लिए राजी किया जा सके। सूत्रों ने साथ ही बताया कि सरकार इस मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ संपर्क में है।
कांग्रेस इस बिल में राज्यों को जीएसटी दर के ऊपर अलग से एक फीसदी कर लगाने की दी गई शक्ति के खिलाफ है। वह नई टैक्स योजना में एल्कोहल और पेट्रोल को भी शामिल कराना चाहती है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार 1% अतिरिक्त कर को हटाने पर विचार कर रही है।
संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने जीएसटी को 'वक्त की' जरूरत बताया है। नायडू ने कहा, जीएसटी विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में ही पारित किया जाना चाहिए। मैं सभी राजनीतिक दलों से अपील करता हूं कि वे राजनीतिक नफे-नुकसान के विचार से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में सोचें। अन्य राजनीतिक मुद्दे हैं, जिन पर हम लड़ सकते हैं, लेकिन जीएसटी का मामला पिछले सात वर्षों से लंबित है। उन्होंने कहा, 'संसदीय कार्यमंत्री के रूप में मुझे (जीएसटी के पारित होने के बारे में) पूरा विश्वास है। मैं पहले से कुछ विपक्षी दलों के साथ संपर्क में हूं। हम उनसे बात कर रहे हैं। उन्होंने कुछ उपयोगी सुझाव दिए हैं। संसद में विधेयक को मंजूर करते वक्त उन (मुद्दों) पर भी विचार किया जा सकता है।'
आपको बता दें कि एकल बाजार सृजित करने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले एक दर्जन से अधिक कर समाहित हो जाएंगे। जीएसटी पहली अप्रैल 2016 से लागू किया जाएगा, लेकिन 26 नवंबर से शुरू होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अगर इस संविधान संशोधन विधेयक को पारित नहीं किया जाता तो अप्रैल से इसे लागू करना शायद संभव न हो सके। (एजेंसी इनपुट के साथ)