सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने से केन्द्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन और भत्तों में होने वाली भारी वृद्धि के परिणामस्वरूप अगले वित्त वर्ष में सरकारी खजाने पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यह राशि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.65 प्रतिशत होगी।
न्यायमूर्ति एके माथुर की अध्यक्षता वाले सातवें वेतन आयोग ने गुरुवार को सौंपी अपनी सिफारिशों में वेतन में 16 प्रतिशत, भत्तों में 63 प्रतिशत और पेंशन में 24 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की है। कुल मिलाकर यह वृद्धि 23.55 प्रतिशत बैठती है।
रिपोर्ट के अनुसार, 'वित्त वर्ष 2016-17 में कुल वित्तीय बोझ 1,02,100 करोड़ रुपये होगा जो कि पहले की सामान्य स्थिति के मुकाबले 23.55 प्रतिशत की वृद्धि होगी।' वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कुल 1.02 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च में से 74,000 करोड़ रुपये का वित्तपोषण केन्द्रीय बजट से किया जाएगा जबकि शेष 28,000 करोड़ रुपये रेल बजट से खर्च किए जाएंगे। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू होंगी।
कर्मचारियों का वेतन 16 प्रतिशत बढ़कर 2.83 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। मौजूदा वित्त वर्ष में इस मद में 39,100 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ खजाने पर पड़ेगा। आवास भत्ते (एचआरए) पर व्यय 138.71 प्रतिशत बढ़कर 29,600 करोड़ रुपये हो जाएगा और चालू वित्त वर्ष में इस मद में 17,200 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
अन्य भत्तों के तौर पर खर्च 49.79 प्रतिशत बढ़कर 36,400 करोड़ रुपये हो जाएगा। इसमें 12,100 करोड़ रुपये की वृद्धि होगी। पेंशन पर खर्च 23.63 प्रतिशत बढ़कर 1.76 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। इस मद में 33,700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च बोझ पड़ेगा।