संसद में अविश्वास प्रस्ताव की संभावना के बीच सरकार ने कहा कि वह बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर अपनी नाराज सहयोगी से संपर्क करेगी और उसे इसके फायदों के बारे में भरोसा दिलाने का प्रयास करेगी। इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उनका अपना एजेंडा है या उन्हें इसके बारे में पूरी समझ नहीं है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने द्रमुक को एक ‘मूल्यवान सहयोगी’ बताते हुए कहा, मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ कांग्रेस नेतृत्व ने इस मुद्दे पर द्रमुक से बात की है और आगे भी बात की जाएगी। शर्मा ने कहा, हम द्रमुक को विश्वास दिलाएंगे कि पूर्व में जो भी चिंताएं जताई गई हैं नीति को आकार देते हुए उन्हें दूर कर लिया गया है। ऐसा करते समय देश की सामाजिक और आर्थिक वास्तविकता को ध्यान में रखा गया है। सरकार ने हाल में बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई को अनुमति दी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसमें छोटे व्यापारियों के हितां का पूरा ध्यान रखा गया है।
शर्मा ने जोर देकर कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन मजबूत है। हालांकि विभिन्न दलों के रुख में भिन्नता हो सकती है। उन्होंने कहा कि सभी सहयोगी दल इस बात को जानते हैं कि देश और दुनिया में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर स्थिरता बेहद जरूरी है।
आनंद शर्मा ने कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ लौट रहे संवाददाताओं से कहा, मुझे विश्वास है कि जो भी हमारे साथ रहे हैं, राष्ट्रीय हित को ऊपर रखते हुए सरकार का समर्थन करते रहेंगे। सिंह आसियान तथा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नोम पेन्ह गए थे। शर्मा भी उनके साथ गए थे।
आगामी संसद सत्र में विपक्ष द्वारा सरकार को घेरने की तैयारी के बारे में शर्मा ने कहा, हम अपने विरोधियों का प्रभावी तरीके से जवाब देंगे। संप्रग की पूर्व सहयोगी तृणमूल कांग्रेस द्वारा 22 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतलकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाने के निर्णय तथा संप्रग की प्रमुख सहयोगी द्रमुक द्वारा अपना रुख स्पष्ट नहीं करने के लिहाज से शर्मा का बयान खासा महत्वपूर्ण है। राजग ने इस मामले में संसद में मत विभाजन वाला प्रस्ताव लाने का निर्णय किया है। वहीं वामदलों ने भी एफडीआई के मुद्दे पर उस प्रावधान के तहत बहस के लिए नोटिस दिया है, जिसमें मतदान का प्रावधान है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मुद्दे को संसद में घसीटे जाने का विरोध करते हुए शर्मा ने कहा कि कार्यपालिका के नीतिगत निर्णय पर कभी संसद में मतदान नहीं कराया गया।
उन्होंने विपक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि एफडीआई को फेमा (विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून) के अंतर्गत अधिसूचित किया गया है और फलत: इस पर संसद में मतदान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये सब केवल दिशानिर्देश हैं और मतदान तभी हो सकता है जब फेमा कानून में संशोधन लाया जाता है।