वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के नियमन के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक को स्वायत्तता देने और उसकी ‘कम शक्तियों’ पर बातचीत के लिए तैयार है. हाल ही में केंद्रीय बैंक ने इस बात को उठाया था. गौरतलब है कि पंजाब नेशनल बैंक में करीब 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के बाद सरकारी बैंकों पर कड़ी निगरानी रखने में असफल रहने को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल ने हाल ही में कहा था कि सरकारी बैंकों के नियमन के संबंध में रिजर्व बैंक के पास पर्याप्त अधिकार नहीं हैं.
इस मामले में गोयल ने कहा, ‘‘जहां तक आरबीआई की शक्तियों की बात है, हम इसे देख रहे हैं और यह ऐसा मसला है जिस पर हम आरबीआई के साथ बैठकर चर्चा करेंगे और इसे सुलझाएंगे. सरकार इसे लेकर खुला रुख रखती है.’’
गांधीनगर में 14 मार्च को गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पटेल ने कहा कि सरकारी बैंकों में धोखाधड़ी से निपटने के लिए रिजर्व बैंक को और शक्तियों की जरुरत है. उद्योग जगत के एक कार्यक्रम में यहां गोयल ने कहा, ‘‘ सरकारी बैंकों के नियमन को लेकर सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के साथ सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है.’’
गोयल ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की सभी 20 सरकारी बैंकों में अपनी 51% हिस्सेदारी को कम करने की कोई योजना नहीं है. गोयल का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारतीय जीवन बीमा निगम के आईडीबीआई बैंक में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने की सरकार की योजना का निगम और बैंकिंग क्षेत्र के कर्मचारी संघों ने कड़ा विरोध किया है.
गोयल ने स्वीकार किया कि बैंकिंग प्रणाली लोगों की अपेक्षा के अनुरूप काम करने में नाकाम रही है. बैंक कर्मियों से जिस उच्च नैतिक मानदंडों की उम्मीद की गई, वे उस पर खरे नहीं उतरे.
उन्होंने कहा कि सरकार सभी सरकारी बैंकों को पर्याप्त पूंजी की मदद देगी. गोयल ने यह भी स्वीकार किया कि पूर्व में सरकारी बैंकों में राजनीतिक हस्तक्षेप रहा है, लेकिन वर्तमान सरकार में किसी भी मंत्री ने बैंकों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं किया है.
बैंकों के फंसे कर्ज के समाधान के लिए सुनील मेहता समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के एक दिन बाद गोयल ने यह बात कही. समिति ने एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी गठित करने का सुझाव दिया है जो ‘बैड बैंक’ (कबाड़ हो चुके ऋण को संभालने वाले बैंक) की तरह काम करेगी. यह 500 करोड़ रुपये तक के डूबे रिणों के मामलों का समाधान निकालेगी.
गोयल ने कहा कि सभी फंसे कर्ज के लिए परिसमापन कोई रामबाण नहीं है, कई बार वास्तविक नुकसान भी होते हैं और उनका समाधान करने की जरुरत होती है.