सरकार ने आईआरडीए, बीमा कंपनियों से छह बिंदुओं पर गौर करने को कहा

प्रमुख हितधारकों के समक्ष उठाए गए मुद्दों में बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों के पास अदालत के बाहर मामले निपटाने के लिए अधिकारों की कमी और बीमा पॉलिसी पर हस्ताक्षर करते समय एजेंटों द्वारा उपभोक्ताओं के साथ पूर्ण पॉलिसी दस्तावेजों को साझा नहीं करने जैसे मुद्दे भी शामिल थे.

सरकार ने आईआरडीए, बीमा कंपनियों से छह बिंदुओं पर गौर करने को कहा

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

सरकार ने बीमा नियामक आईआरडीएआई  IRDAI और अन्य हितधारकों के समक्ष बीमा अनुबंधों में अस्पष्टता और कठोर नीतिगत शर्तों सहित छह प्रमुख मुद्दों को उठाते हुए इनका निपटारा करने का आग्रह किया. प्रमुख हितधारकों के समक्ष उठाए गए मुद्दों में बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों के पास अदालत के बाहर मामले निपटाने के लिए अधिकारों की कमी और बीमा पॉलिसी पर हस्ताक्षर करते समय एजेंटों द्वारा उपभोक्ताओं के साथ पूर्ण पॉलिसी दस्तावेजों को साझा नहीं करने जैसे मुद्दे भी शामिल थे.

मौजूदा समय में, देश भर में आने वाली कुल उपभोक्ता शिकायतों का पांचवां हिस्सा बीमा क्षेत्र से संबंधित है. 

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने इस मुद्दे पर आयोजित एक गोलमेज सम्मेलन के बाद मीडिया से कहा, 'हमने आईआरडीएआई और अन्य अंशधारकों के सामने इन मामलों को उठाया है. हमें उम्मीद है कि बीमा कंपनियां अपनी ओर से इनका समाधान करेंगी. अगर जरूरत पड़ी तो हम नियामक से भी इसे अनिवार्य करने का अनुरोध करेंगे.'

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उन्होंने कहा कि इन मुद्दों के कारण देश भर में बीमा क्षेत्र से संबंधित उपभोक्ता मामलों में बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं. उन्होंने कहा कि यदि बीमा पॉलिसी के नियमों और शर्तों को सरल, स्पष्ट और समझने योग्य भाषा में बनाया जाए तो उपभोक्ता विवादों में कमी लाई जा सकती है.