वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने निवेशकों के लिए नियमों को और उदार बनाने का वादा करते हुए कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को फिर से उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए ‘‘लगातार और दृढ़ता’’ के साथ सुधार प्रक्रिया के अगले चरण की तरफ बढ़ रही है।
चिदंबरम ने राष्ट्रीय संपादकों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि आर्थिक सुधार निरंतर आगे बढ़ने वाली प्रक्रिया है। सरकार ने हाल ही में अनेक क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाने के साथ ही और कई उपाय किए हैं। सरकार ने सुधारों को आगे बढ़ाने और राजकोषीय सुदृढ़ीकरण की दिशा में काफी रास्ता तय किया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के लिए निवेश नियमों को और सरल बनाया गया है। उनके लिए सरकारी प्रतिभूतियों और कंपनी क्षेत्र के ऋणपत्रों में निवेश नियमों को उदार बनाया गया है।
उन्होंने कहा, 1 अप्रैल 2013 से एफआईआई निवेश के लिए मौजूदा अलग-अलग श्रेणियों में निवेश के बजाय केवल दो व्यापक श्रेणियों में निवेश की सुविधा होगी। एक श्रेणी सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश की होगी, जिसे 5 अरब डॉलर बढ़ाकर 25 अरब डॉलर कर दिया गया है और दूसरी श्रेणी कॉरपोरेट बॉन्ड की होगी। इसमें भी इतनी ही वृद्धि कर इसकी सीमा 51 अरब डॉलर कर दी गई है। चिदंबरम ने आने वाले दिनों में आर्थिक सुधारों की दिशा में और कदम उठाए जाने का वादा करते हुए कहा कि सरकार लगातार और दृढ़ता के साथ अगली पीढ़ी के सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रही है।
चिदंबरम ने सुधार प्रक्रिया को बढ़ाने की दिशा में उठाये गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि हाल ही में मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी गई। विमानन और प्रसारण क्षेत्र में भी विदेशी निवेश को उदार बनाया गया। डीजल के दाम को आंशिक तौर पर नियंत्रणमुक्त किया गया और सब्सिडीयुक्त रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति सीमित की गई।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज्यों को केन्द्रीय सहायता के आवंटन में भेदभाव बरते जाने के आरोपों के बारे में पूछे गए एक सवाल पर वित्तमंत्री ने कहा कि इस तरह के आरोप सही नहीं हैं। राज्यों को जो भी धन दिया जाता है वह संविधान में की गई व्यवस्था और वित्तीय आयोग की सिफारिशों के अनुरूप दिया जाता है।
चिदंबरम ने कहा, किसी भी राज्य को न तो प्राथमिकता दी जाती है और न ही किसी के साथ भेदभाव किया जाता है। भेदभाव बरते जाने के आरोप गलत हैं और मैं इन आरोपों को खारिज करता हूं। बिहार, उड़ीसा तथा कुछ अन्य राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने संबंधी सवाल पर चिदंबरम ने कहा, उन्होंने कभी भी राज्यों को विशेष दर्जा दिए जाने के विचार का समर्थन नहीं किया है। हालांकि, सरकार ने रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी की अध्यक्षता में गठित 14वें वित्त आयोग से कहा है कि वह कर्ज के बोझ तले दबे राज्यों की समस्या पर ध्यान देते हुए सरकार को आवश्यक सुझाव दे।
वित्तमंत्री ने राज्यों से कहा है कि उन्हें मजबूत बनने के लिए बेहतर परिवेश बनाने के साथ ही कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में सुधार लाना होगा और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देना चाहिए।
चिदंबरम ने कहा कि बाजार नियामक सेबी की नीलामी प्रक्रिया के तहत कंपनियों के लिए बॉन्ड के जरिये धन जुटाने की सीमा तय करने की मौजूदा प्रक्रिया का स्थान अवसंरचना (इन्फ्रा) बॉन्ड में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया ले सकती है।
उन्होंने कहा कि जब कभी जरूरत होगी सरकारी बॉन्ड की सीमा को बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा, कंपनियों के बॉन्ड में विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए तय निवेश सीमा का 80 प्रतिशत तक जब निवेश पहुंच जाएगा तब सरकार बड़े निवेशकों की निवेशयोजना की सुविधा के लिए विदेशी निवेश सीमा की समीक्षा करेगी।
निवेशकों को एक दिशा देते हुए वित्त मंत्री ने कहा, मुझे प्रसन्नता है कि सरकारी बॉन्ड में निवेश विस्तार की सालाना सीमा सरकार की बाजार से सकल उधारी के पांच प्रतिशत के दायरे में ही बनी हुई है। हालांकि, इसमें वापसी खरीद को अलग रखा गया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के मामले में चिदंबरम ने कहा कि यूरोक्षेत्र के संकट से पूरी दुनिया में निवेश गतिविधियां प्रभावित हुई हैं और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि वर्ष 2010-11 में आर्थिक वृद्धि के 9.3 प्रतिशत तक पहुंचने के बाद अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई और 2011-12 में यह घटकर 6.2 प्रतिशत रह गई और अब चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके पिछले एक दशक की न्यूनतम वृद्धि 5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया गया है।