नया साल शुरू होते ही कारें और टेलीविजन, फ्रिज जैसे टिकाउ उपभोक्ता सामान महंगे हो जाएंगे। सरकार की इन सामानों पर दी गई उत्पाद शुल्क रियायत को जनवरी से वापस लेने की योजना है। इस फैसले से सरकारी खजाने में वित्त वर्ष के शेष तीन महीनों में 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व आने की उम्मीद है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, सरकार ऑटोमोबाइल और टिकाऊ उपभोक्ता सामान को उत्पाद शुल्क में दी गई रियायत को आगे नहीं बढ़ाएगी। सरकार को इस फैसले से चालू वित्त वर्ष के शेष तीन महीनों के दौरान 1,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है। इससे सरकार को राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 4.1 प्रतिशत के तय लक्ष्य के दायरे में रखने में मदद मिलेगी। हालांकि, अतिरिक्त राजस्व प्राप्ति इन तीन महीनों के दौरान कारों और टिकाउ उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री पर निर्भर करेगी।
आर्थिक क्षेत्र में छाई सुस्ती को देखते हुए पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने फरवरी में अंतरिम बजट में वाहन व टिकाउ उपभोक्ता सामान क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कारों, एसयूवी, दोपहिया व टिकाउ उपभोक्ता सामान पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी।
एसयूवी के मामले में उत्पाद शुल्क 30 से घटाकर 24 प्रतिशत, मध्यम आकार की कारों के लिए 24 से घटाकर 20 प्रतिशत व बड़ी कारों के लिए 27 से घटाकर 24 प्रतिशत किया गया था। वहीं छोटी कारों, स्कूटर व मोटरसाइकिल पर उत्पाद शुल्क 12 से घटाकर 8 प्रतिशत किया गया था। टिकाउ उपभोक्ता सामानों पर उत्पाद शुल्क 12 से घटाकर 10 फीसदी किया गया था।
जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार ने उत्पाद शुल्क में दी गई इस रियायत को छह माह और बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिया था। उत्पाद शुल्क की इस रियायत को अब आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है हालांकि, कंपनियां इस मामले में औपचारिक सूचना का इंतजार कर रही हैं।
होंडा कार्स इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (विपणन एवं बिक्री) ज्ञानेश्वर सेन ने कहा, इस फैसले से दाम बढ़ेंगे। लघु अवधि में इससे मांग भी प्रभावित होगी। इसी तरह की राय जताते हुए मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा, यह सरकार का फैसला है। हमारे पास इसे स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसका बिक्री पर असर पड़ेगा। मेरा मानना है कि लघु अवधि में इससे बिक्री प्रभावित होगी। हुंडई मोटर इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (बिक्री एवं विपणन) राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि इस घटनाक्रम का ऑटोमोबाइल उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा, उत्पाद शुल्क बढ़ने के साथ ही 1 जनवरी से दाम भी बढ़ जाएंगे। चूकिं यह वृद्धि बढ़ी है इसलिये इसका मांग पर भी असर पड़ेगा। टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने उत्पाद शुल्क रियायत कुछ और समय जारी रहने की उम्मीद व्यक्त करते हुए कहा कि 2013-14 का ज्यादातर समय में ऑटोमोबाइल उद्योग ऊंची ब्याज दर, महंगे ईंधन से प्रभावित रहा। उत्पाद शुल्क रियायत ने हाल फिलहाल ही अपना असर दिखाना शुरू किया था, ऐसे में उम्मीद है कि सरकार इसे कुछ और समय जारी रखेगी।
टिकाउ उपभोक्ता सामान कंपनियों ने भी कहा कि सरकार के इस कदम से उन्हें इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डालना होगा। इससे बिक्री पर असर पड़ेगा।
हायर इंडिया के अध्यक्ष इरिक ब्रैगैंजा ने कहा, उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी के साथ सभी कंपनियों को दाम बढ़ाने पड़ेंगे। इसी तरह की राय जताते हुए व्हर्लपूल ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष (कॉरपोरेट मामले व रणनीति दक्षिण एशिया) शांतनु दास गुप्ता ने कहा, कई उद्योग संगठनों ने अपनी बजट पूर्व मांग में उत्पाद शुल्क की मौजूदा दर को जारी रखने की मांग की थी, जिसे पूरा नहीं किया गया। लगातार दो साल तक बिक्री में गिरावट देखने के बाद इस साल अप्रैल से नवंबर के दौरान वाहन क्षेत्र की बिक्री 10.01 प्रतिशत बढ़कर 1.33 करोड़ इकाई रही है, जो एक साल पहले समान अवधि में 1.21 करोड़ इकाई रही थी।