सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए आर्थिक वृद्धि दर लक्ष्य को पहले के नौ प्रतिशत से घटाकर 8.2 प्रतिशत कर दिया है। योजना आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि देश में गरीबी घटी है और खेती की तरक्की की दर बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि मंदी के दौर में निवेश बढ़ाने पर ज्यादा जोर देना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च विकास दर हासिल करने के लिए कुछ जोखिम उठाने की जरूरत है।
डीजल की कीमत में बढ़ोतरी से बड़े पैमाने पर विरोध से अविचलित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया और उम्मीद जताई कि अर्थव्यवस्था फिर से उछाल लेगी।
मनमोहन सिंह ने ऊर्जा नीति की व्यापक पुनरीक्षा की जरूरत बताते हुए कहा कि देश की ऊर्जा सुरक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा एक कठिन क्षेत्र है, जहां नीति की व्यापक पुनरीक्षा की जरूरत है। हमारे पास ऊर्जा की कमी है और आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। हमारी ऊर्जा सुरक्षा के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम घरेलू उत्पादन बढ़ाएं और ऊर्जा दक्षता में भी वृद्धि करें।
वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ये अल्पकालिक अड़चने हैं, इससे आगे आने वाले समय में हमारी तरक्की की संभावनाओं को लेकर निराशा नहीं उत्पन्न होनी चाहिए। उन्होंने कहा, हमारी तात्कालिक प्राथमिकता होनी चाहिए कि इस वित्तवर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि दर को पुन: गति प्रदान करने के लिए क्या प्रयास किए जा सकते हैं। इसके बाद हमें योजनावधि के अंत तक वृद्धि दर को करीब नौ फीसदी पर पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए।
12वीं योजना में 8.2 फीसदी की सालाना औसत वृद्धि दर का अनुमान जाहिर किया गया है, जो पूर्वानुमानित नौ फीसदी की वृद्धि दर से कम है। अर्थव्यवस्था ने 11वीं योजना में 7.9 फीसदी की वृद्धि दर दर्ज की। प्रधानमंत्री की राय में 11वीं योजना की औसत वृद्धि दर भी अच्छी ही मानी जाएगी, क्योंकि इस दौरान दो वैश्विक वित्तीय संकटों से दो चार होना पड़ा - इनमें पहला संकट 2008 में और दूसरा 2011 में उत्पन्न हुआ।
सिंह ने कहा कि 2004-05 से 2009-10 के बीच गरीबी इससे पहले के 10 वर्षों की तुलना में दोगुनी गति से कम हुई, जबकि 11वीं योजनावधि में कृषि की वृद्धि दर 3.3 फीसदी रही, जो 10वीं योजना में दर्ज 2.4 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले बहुत अधिक है।
12वीं योजनावधि में वृद्धि की संभावनाओं के संबंध में मनमोहन ने कहा, हमें यह जरूर मानना चाहिए कि 12वीं योजना उस साल शुरू हो रही है, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में दिक्कतें हैं और हमारी अर्थव्यवस्था में भी नरमी आई है। वृद्धि का लक्ष्य नौ फीसदी से घटाकर 8.2 फीसदी करने के संबंध में उन्होंने कहा कि वैश्विक हालात को देखते हुए अनुमान में थोड़ी कमी व्यावहारिक है।