भारत सरकार ने जीएसटी काउंसिल के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की अहम बैठक में जीएसटी काउंसिल और जीएसटी सचिवालय की स्थापना को हरी झंडी दे दी गई.
केंद्रीय वित्तमंत्री जीएसटी काउंसिल के चेयरपर्सन होंगे, जबकि राजस्व वित्त राज्यमंत्री और सभी राज्यों के वित्तमंत्री या उनके नुमाइंदे इसके सदस्य होंगे. जीएसटी काउंसिल जीएसटी से जुड़े सभी अहम मामलों पर फैसला करेगी. इसमें जीएसटी का रेट तय करना, जीएसटी के दायरे से छूट तय करना, मॉडल जीएसटी कानून बनाना और जीएसटी से जुड़े विवादों का निपटारा शामिल है.
इसका ऐलान करते हुए राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा, "मैं सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को चिट्ठी लिखकर उनसे गुजारिश करूंगा कि वे अपने-अपने राज्य से जीएसटी काउंसिल में एक मंत्री को मनोनीत करें. हमने अगले दो महीने में जीएसटी काउंसिल को ऑपरेशनल करने का लक्ष्य रखा है."
जीएसटी सचिवालय दिल्ली में होगा जिसके सचिव सरकार के राजस्व सचिव होंगे. इसके अलावा एक एडिशनल सेक्रेटरी स्तर के और चार कमिश्नर स्तर के पद बनाए जाएंगे. सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम के चेयरपर्सन को इसका स्थाई इनवाइटी बनाया जाएगा. सरकार के मुताबिक अगले दो महीने में जीएसटी काउंसिल अपना कामकाज शुरू कर देगी. इसके लिए तैयारी भी शुरू हो चुकी है.
हसमुख अधिया ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी काउंसिल की पहली बैठक 22 और 23 सितंबर को बुलाने का फैसला किया है. सरकार को अब 11 नवंबर तक काउंसिल को ऑपरेशनल करना होगा.
जीएसटी काउंसिल के गठन के बाद अब भारत सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती जीएसटी की दर और छूट के मामले पर राज्यों के साथ राजनीतिक सहमति बनाने की होगी. अब देखना महत्वपूर्ण होगा कि वित्त मंत्री इन संवेदनशील मुद्दों पर राज्यों के साथ कितनी जल्दी राजनीतिक आम राय बनाने में कामयाब हो पाते हैं.