कोल इंडिया को उत्पादन बढ़ाने के लिए सख्त निर्देश दिए हैं। उससे कहा गया है कि यदि वह पुनर्गठन नहीं चाहती है तो अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाए।
सूत्रों के मुताबिक बिजली और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने सरकरी कंपनी से कहा है कि वह 31 दिसंबर 2014 तक कोयला की गुणवत्ता में सुधार करे। मंत्री ने यह भी कहा कि कोयला क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी को अपना भंडार बढ़ाना चाहिए।
कोयला मंत्रालय ने इससे पहले परिचालन क्षमता बढ़ाने के लिए कोल इंडिया के पुनर्गठन की योजना बनाई थी।
कुल घरेलू कोयला उत्पादन में कोल इंडिया की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है। कंपनी 2013-14 में 48.2 करोड़ टन का उत्पादन लक्ष्य हासिल करने से चूक गई और उसने सिर्फ 46.2 करोड़ टन कोयले का उत्पादन किया था।
कंपनी की सात सहयोगी कंपनियों में ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल), भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) और साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक गोयल ने कोल इंडिया से कहा कि बिजली कंपनियों को आपूर्ति किए जाने वाले कोयले में पत्थर या बोल्डर नहीं होने चाहिए और इसे कोयले की गुणवत्ता में कमी रोकने के लिए काम करना चाहिए।
विशेषज्ञों के मुताबिक कोयले की गुणवत्ता में कमी का बिजली उत्पादन पर गंभीर असर होता है।
इस बीच मंत्री का मानना है कि बिजली उत्पादन कंपनियों को गुणवत्ता की जांच के लिए तृतीय पक्ष की नियुक्ति का अधिकार होना चाहिए।
उन्होंने कोल इंडिया से यह भी कहा है कि वह ई-नीलामी के जरिये कोयले की बिक्री कम करे और यह कोयला बिजली संयंत्रों को उपलब्ध कराएं।
सूत्रों ने बताया कि कोल इंडिया को कोयले की ई-नीलामी की सीमा 5.7 करोड़ टन से घटाकर 2.5 करोड़ टन करने का निर्देश दिया गया है।