सरकार ने बुधवार को भारतीय खाद्य निगम (FCI) की प्राधिकृत पूंजी को मौजूदा 3,500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया. सरकार के इस फैसले के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के इस निकाय में अतिरिक्त पूंजी डालने का मार्ग प्रशस्त हो गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया. सरकार के फैसले से FCI को खाद्यान्नों की खरीद और वितरण में सुविधा होगी. इसके साथ ही FCI अपने कर्ज और ब्याज लागत को भी कम कर सकेगा.
सरकार की तरफ से जारी विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है की FCI की प्राधिकृत पूंजी बढ़ाये जाने के बाद इस उपक्रम में केन्द्रीय बजट के जरिये अतिरिक्त पूंजी डाली जा सकेगी. इससे FCI को खाद्यान्न भंडार को बनाये रखने में आने वाली लागत का वहन करने में मदद मिलेगी. विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार के इस कदम से FCI का कर्ज कम होगा, ब्याज लागत की बचत होगी और खाद्य सब्सिडी में भी कमी आएगी.
वक्तव्य में कहा गया है कि FCI को अपना काम करते हुये लंबे समय तक अनाज के भंडार का रख रखाव करना होता है. उसके इस काम में सरकार को वित्तपोषण उपलब्ध कराना होता है. यह काम इक्विटी पूंजी के जरिये या फिर दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध कराकर किया जा सकता है.
FCI की 31 मार्च 2019 को चुकता पूंजी 3,447.58 करोड़ रुपये है. FCI का गठन खाद्य निगम कानून 1964 के तहत किया गया था. सरकार की सस्ते दाम पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने की नीति को अमल में लाने के लिये एफसीआई का गठन किया गया. किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खाद्यान्न खरीदने के लिये एFCI केन्द्र सरकार की शीर्ष एजेंसी है.