सराफा व्यापारियों के बीच यह शंका जोर पकड़ रही है कि पीएम नरेंद्र मोदी जल्द ही विदेशों से सोना खरीद को लेकर भी कुछ कड़े नियम जारी कर कर सकते हैं. इसी डर से कई भारतीय कारोबारी भारी मात्रा में सोना एकत्र करके रख रहे हैं और विदेशों से सोना मंगवाकर रख रहे हैं. दरअसल पीएम मोदी के काले धन पर लगाम के लिए 500 और 1000 रुपए के नोटों पर बैन के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि पीएम काले पैसे को खत्म करने के लिए अब गोल्ड को लेकर भी कुछ नियंत्रण लगा सकते हैं. यह कहना है करोबारियों और सुनारों का.
भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा सोने का खरीददार देश है. अनुमानत: इसकी सालाना मांग 1000 टन है जिसका एक-तिहाई ब्लैक मनी के जरिए चुकाया जाता है, यह वह ब्लैक मनी है जो नकद में है और किसी भी अकाउंट में दर्ज नहीं है. पीएम मोदी कह चुके हैं कि नोटबंदी के ऐलान के बाद अभी कुछ और कड़े फैसले लिए जाने हैं हालांकि उन्होंने ये कड़े नियम क्या होंगे, यह स्पष्ट नहीं किया.
कोई निश्चितता नहीं है कि सरकार का अगला कदम क्या होगा- यह कहना है दमन प्रकाश राठौड़ का जो चेन्नई के एमएनसी बुलेटिन में डायरेक्टर हैं. कोई भी कानूनी रूप से सही तरीके से कारोबार कर रहा व्यापारी ज्यादा मात्रा में सोना खऱीदकर जोखिम नहीं लेना चाहता. कुछ केवल 2 से 3 किलो एक्सट्रा खरीद रहे हैं ताकि वे अगले महीने दो महीने तक कारोबार कर लें या फिर तब तक कर लें जब तक कि हालात संभल नहीं जाते.
सोने के व्यापारियों और ज्वैलर्स के बीच इस तरह के मेसेज सर्कुलेट हो रहे हैं कि सरकार घरेलू इस्तेमाल के लिए अगले साल या फिर मार्च से गोल्ड के आयात पर बैन लगा सकती है. यह बात नई दिल्ली और मुंबई के कई ज्वैलर्स ने बतायी जिन्होंने ऐसे मेसेज देखे हैं. ऑल इंडिया जेम्स एंड जूलरी फेडरेशन ने इन मेसेजेस को अफवाह कह कर खारिज कर दिया. हालांकि इसके बावजूद शादी ब्याह के सीजन के चलते ट्रेडर्स एक्सट्रा गोल्ड लेकर रख रहे हैं, यह कहना है इंड़िया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के एक अधिकारी का.
गोल्ड पर सरकार के नीति निर्माण में शामिल एक सीनियर अधिकारी ने कहता कि सोने के आयात में कटौती को लेकर कोई विचार विमर्श नहीं हुआ है लेकिन गोल्ड की सप्लाई कुछ 'अनाधिकारिक चैनलों' के जरिए बढ़ गई है. घरेलू ग्रामीण बाजार में नकदी का संकट गहराया है, जोकि कुल डिमांड का दो तिहाई है.