सोने की मांग दूसरी तिमाही में वैश्विक स्तर पर 12 प्रतिशत घटकर 914.9 टन रह गई और ऐसा मुख्य तौर पर भारत और चीन में उपभोक्ताओं की ओर से मांग घटने के कारण हुआ। यह बात विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने कही।
डब्ल्यूजीसी की 2015 की दूसरी तिमाही में सोने की मांग से जुड़ी रपट के मुताबिक 2014 की दूसरी तिमाही में मांग 1,038 टन थी।
रपट के मुताबिक, जेवरात खरीदार और छड़ों और सिक्कों में रुचि रखने वालों की ओर से मांग बढ़ने से यूरोप और अमेरिका में मांग बढ़ी। डब्ल्यूजीसी के बाजार सूचना प्रमुख एलिस्टेयर ह्यूइट ने कहा, 'यह तिमाही सोने के लिए चुनौतीपूर्ण रही, विशेष तौर पर एशिया में क्योंकि भारत और चीन में मांग में गिरावट दर्ज हुई।' रपट में कहा गया कि एशिया में उपभोक्ताओं द्वारा कम खर्च करने से कुल जेवरात की मांग 14 प्रतिशत घटकर 513 टन रही जो 2014 में 595 टन थी।
समीक्षाधीन अवधि में चीन में आर्थिक वृद्धि में नरमी और शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण जेवरात की मांग पांच प्रतिशत घटकर 174 टन रही।
इधर भारत में जेवरात की मांग 23 प्रतिशत घटकर 118 टन रही। देश में पहली तिमाही के दौरान बेमौसम बारिश और दूसरी तिमाही में सूखे के कारण ग्रामीण आय प्रभावित हुई जिससे सोने की मांग पर असर हुआ। इसके अलावा शादी के लिए शुभ मुहुर्त न होने से भी शादी से जुड़ी सोने की मांग असाधारण रूप से कम रही।
डब्ल्यूजीसी के प्रबंध निदेशक ने सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र की तरह यूरोप और अमेरिका में ज्यादा वजनी जेवरात की मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहा, 'साल के शेष हिस्से में जेवरात बाजार का परिदृश्य अच्छा नजर आता है क्योंकि भारत में शादी और त्योहारों का मौसम आने वाला है। इसके अलावा सोने की कीमत घटने से मूल्य के प्रति संवेदनशील बाजारों में खरीदारी बढ़ती है और इसके शुरआती संकेत एशिया तथा पश्चिम एशिया में नजर आ रहे हैं।'