भारत सरकार ने बजट 2015 के प्रारूप पर स्टेकहोल्डर्स से सलाह-मश्विरा करना शुरू कर दिया है। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अगले वित्त वर्ष के बजट पर राज्यों के वित्तमंत्रियों के साथ शुक्रवार को पहली बड़ी बैठक की।
बैठक में वित्तमंत्री ने कहा कि 2015-16 में आर्थिक विकास दर 6 से 6.5% के बीच रहने की उम्मीद है। जेटली के मुताबिक, मोदी सरकार के सामने सबसे मुश्किल चुनौती मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में असंतुलित विकास को सुधारने की है।
बैठक में वित्तमंत्री के सामने राज्य सरकारों ने लंबी-चौड़ी मांगें रखीं गईं। राज्यों ने गुज़ारिश की है कि बजट 2015 में बुनियादी सेक्टरों पर ज्यादा खर्च का प्रावधान शामिल किया जाना चाहिए, जिससे अर्थव्यवस्था में तेज़ी आए। कुछ राज्यों ने मांग की कि केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करने में उन्हें ज्यादा अधिकार दिए जाएं, नदियों को जोड़ने के लिए विशेष प्रावधान बजट 2015 में शामिल हो और कर्ज़ में डूबे किसानों को राहत का प्रावधान हो। राज्यों ने ज्यादा वित्तिय स्वायत्ता की भी मांग की।
कुछ राज्यों ने सुझाव दिया कि बाज़ार में कैश बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर पहल ज़रूरी है। इसलिए नए वित्तीय साल में एफआरबीएम लिमिट बढ़ाने पर विचार होना चाहिए। जिन राज्यों की अर्थव्यवस्था माइनिंग पर ज्यादा निर्भर करती है उन्होंने लौह अयस्क पर निर्यात दर हटाने की मांग की है। वहीं कुछ राज्यों के वित्तमंत्रियों ने कहा कि उनके यहां निवेश बढ़ाने के लिए टैक्स हॉलिडे (केंद्रीय करों में छूट) की सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए।
बैठक के बाद वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सभी राज्यों ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह जीएसटी जल्दी लागू करने के पक्ष में हैं और राज्यों को तय समय में जीएसटी लागू होने पर मुआवज़ा मुहैया कराना होगा। वित्तमंत्री ने सभी राज्यों को आश्वासन दिया कि उनकी अपेक्षाओं को केंद्र सरकार पूरा करने की कोशिश करेगी।