वित्त मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) पर 8.7 प्रतिशत ब्याज दर तय करने के निर्णय का बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि 2015-16 के लिए इतना ब्याज देने में भी इससे पिछले साल के अधिशेष का सहारा लेना होगा।
ट्रेड यूनियनों का शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन
वहीं श्रम मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित ट्रेड यूनियन बीएमएस को आश्वस्त किया कि उनका मंत्रालय 8.8 प्रतिशत ब्याज देने को लेकर वित्त मंत्रालय पर दबाव बनाएगा। ब्याज दर कम किए जाने का विरोध करते हुए 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को वित्त मंत्रालय के निर्णय के खिलाफ एक दिन का विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है। हालांकि बीएमएस इस विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होगा।
वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि यह निर्णय शुद्ध रूप से गणितीय गणना पर आधारित है और इसका मकसद ईपीएफओ की निरंतरता को सुनिश्चित करना और सदस्यों को घटते ब्याज दर के परिदृश्य में 'स्थिर रिटर्न' उपलब्ध कराना है। इस बीच श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने भारतीय मजदूर संघ से मुलाकात की और आश्वस्त किया कि उनका मंत्रालय कर्मचारी भविष्य निधि पर 8.8 प्रतिशत ब्याज दर कायम रखने के लिए वित्त मंत्रालय पर दबाव बनाएगा।
फरवरी में सीबीटी ने 8.8% ब्याज देने का फैसला किया था
इससे पहले, फरवरी में ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने 2015-16 के लिए अपने अंशधारकों को 8.8 प्रतिशत ब्याज दर उपलब्ध कराने का फैसला किया था। यह पिछले दो वित्त वर्ष में दिए गए 8.75 प्रतिशत से अधिक था। बाद में वित्त मंत्रालय ने 8.7 प्रतिशत ब्याज दिए जाने को मंजूरी दी। इस निर्णय का ट्रेड यूनियनों ने पुरजोर विरोध किया है और इसे सीबीटी के कामकाज में दखल करार दिया।
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