इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2018 है. अभी भी करोड़ों करदाताओं ने अपना रिटर्न फाइल नहीं किया है. अमूमन देखा गया है कि करदाता महीने के आखिरी सप्ताह में ही रिटर्न दाखिल करते हैं. इतना ही कई लोग को अंतिम तारीख का इंतजार करते रहते हैं और अंतिम तारीख पर रिटर्न दाखिल करते हैं. ऐसे में तय है कि कभी कभी तारीख में चूक हो जाए और समय पर करदाता अपना रिटर्न फाइल नहीं करते. ऐसे करदाताओं को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. विभाग ने लेट फी के साथ समय बाद रिटर्न दाखिल करने का विकल्प जरूर दिया है. लेट फी जानकर कई लोगों को होश उड़ना तय है. यह कोई 500-1000 रुपये की नहीं है. यह फीस है 5000 रुपये. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आयकर समय पर भरा जाए और बेवजह अपनी गाढ़ी कमाई से 5000 रुपये एक सजा के रूप में दिए जाएं.
आयकर विभाग ने कुछ दिन से रजिस्टर्ड करदाताओं को संदेश भेजना आरंभ कर दिया है. आयकर विभाग सभी कर दाताओं को सचेत कर रहा है कि समय रहते अपना रिटर्न दाखिल कर दें.
ऐसा नहीं करने पर विलंब शुल्क (लेट फी) और ब्याज का सामना करना पड़ सकता है. विभाग की साइट के अनुसार 30 जून 2018 तक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं की संख्या 7,49,54,275 थी.
बता दें कि किसी कारण वश 31 जुलाई 2018 तक करदाता आईटीआर दाखिल नहीं कर पाता है तब उसे जुर्माने के तौर पर लेट फी देना पड़ सकता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि करदाता कितने समय बाद यह काम पूरा करता है. यानि समय बीत जाने के कितने दिन के अंदर करदाता रिटर्न फाइल करता है. यह जुर्माना आयकर की धारा 234एफ के अंतर्गत तय किया जाता है.
जानकारी के लिए बता दें कि यदि किसी करदाता की आय पांच लाख तक या उससे कम है और वह 31 जुलाई तक आईटीआर दाखिल नहीं करता है तब उसे 1000 रुपये की पेनाल्टी देनी होगी. वहीं 5 लाख से ज्यादा आय होने की सूरत में 31 जुलाई से एक दिन की देरी पर भी आपको 5,000 रुपये की पेनाल्टी देनी होगी. हालांकि इस सूरत में 31 दिसंबर तक अपना रिटर्न फाइल ही करना होगा.
अगर कोई करदाता अपना आईटीआर 1 जनवरी से 31 मार्च 2019 तक भरता है तब उसे 10,000 रुपये बतौर जुर्माना देना होगा. वहीं, इकरदाता पर ब्याज भी लगा दिया जाएगा. जानकारी के लिए बता दें कि जुर्माने पर लगने वाला ब्याज आयकर की धारा 234 ए के अंतर्गत वसूला जाता है जो कि एक फीसद होता है.