कारोबारी सप्ताह के पहले दिन की शुरुआत जबरदस्त गिरावट के साथ हुई। सेंसेक्स ने 1,624.51 अंकों तक का गोता खाया और रुपया भी 2 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गया। भले ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने कह दिया हो कि इसमें चिंता की कोई बात नहीं है लेकिन इस आश्वासन से आम निवेशकों को ज्यादा सांत्वना मिली लगती नहीं है। वह घबराया हुआ है और जल्दबाजी में कोई न कोई कॉल ले लेना चाहता है ताकि उसे नुकसान न उठाना पड़े। आइए जानें कि इस बाबत एक्सपर्ट्स का क्या कहना है..
इंवेस्टमेंट रिसर्च कंपनी वैल्यू रिसर्च के सीईओ धीरेंद्र कुमार के मुताबिक:
यदि आप लॉन्ग टर्म के लिहाज से शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं तो आपको ठहरना चाहिए और घबराना नहीं चाहिए। लेकिन, जो लोग 2-4 दिन (शॉर्ट टर्म) के लिए शेयर बाजार में कूदें हैं उन्हें निश्चित तौर पर बाजार से निकल लेना चाहिए।
सोमवार को आई तीखी गिरावट 4% से कम है और 3% से अधिक है, और यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। पिछले 12 सालों पर गौर करें तो यह 150वीं बार से अधिक है। 4% से ज्यादा भी यह 125 बार जा चुकी है, ऐसे में कोई कारण नहीं है कि निवेशक इस गिरावट से डर कर बैठ जाए।
किसी भी नियमित और अनुशासन के साथ निवेश करने वाले यह मालूम हो कि यह गिरावट किसी तरह का भयानक नतीजा पेश नहीं करती है। बाजार कोई फिक्स्ड डिपॉजिट नहीं है, यह लॉन्ग टर्म के इन्वेस्टमेंट में नफा देता है। इस लिहाज से देखें तो घबराने का कोई मतलब नहीं।
होता यह है कि जब बाजार गिर रहा होता है तो घबराहट के मारे भागदौड़ मच जाती है और मंहगाई होने पर इसके आसपास भीड़ बढ़ने लगती है। असल बात तो यह है कि जो शॉर्ट टर्म निवेशक हैं, उन्हें तुरंत मार्केट से बाहर हो जाना चाहिए.. जबकि लॉन्ग टर्म के लिहाज से निवेश करने वालों को इस पर चिंता नहीं करनी चाहिए।
सिट्रिस अडवायजर के संस्थापक और मार्केट एक्सपर्ट संजय सिन्हा के मुताबिक:
निवेशकों को यह समझना होगा कि वैश्विक बाजारों में मचे कोहराम का भारतीय घरेलू बाजारों पर असर पड़ा है और इसी के चलते यह जोरदार गिरावट देखी जा रही है। इसका मतलब यह नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बुरे दिन शुरु हो गए हैं। फिलहाल ग्लोबल इकॉनमी में उठापटक के बीच अपनी अर्थव्यवस्था के सकारात्मक पक्ष दिख नहीं रहे हैं। विदेशी निवेशकों का बहुतायत में पैसा बाजार में लगा होने के कारण यह डर व्याप्त हो गया है कि वे कहीं हाथ न पीछे खींचने लगें। लेकिन, सच तो यह है कि स्थानीय अर्थव्यवस्था सुधर रही है। इसलिए डरने या अफरातफरी जैसे सेंटिमेंट अनावश्यक हैं।
बाजार में सोमवार को आई गिरावट अभी कुछ दिन और जारी रह सकती है। लेकिन, कुछ समय बाद रिकवरी हो जाएगी।
शेयर बाजारों में शॉर्ट टर्म के लिए असमंजस की स्थिति आती है लेकिन ऐसे समय में करना यह चाहिए कि अपनी इक्विटी को बढ़ा दिया जाए। जब बाजार गिर रहा हो, खरीददारी की जाए। यह एक मौका है अपनी इन्वेस्टमेंट्स को बढ़ाने का।
शेयर मार्केट में आई तेज गिरावट का फायदा उठाते हुए अपने पोर्टफोलियो को एक्यूमेलेट करें। ऐसे समय में घबराना फिजूल है। क्योंकि अंतत: भारतीय अर्थव्यवस्था में तो ग्रोथ देखी ही जा रही है।