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"महंगे कर्ज ने मकान खरीदने वालों की सामर्थ्य घटाई, अहमदाबाद सबसे किफायती"

नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, “वर्ष 2022 में आवास ऋण की औसत दरों में वृद्धि के कारण लोगों के लिए घर की वहनीयता बिगड़ी है. औसत गृह ऋण दर में 0.95 प्रतिशत की संचयी वृद्धि घर खरीदारों की सामर्थ्य और इस प्रकार उनके खरीद निर्णयों को भी प्रभावित करेगी.
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NDTV Profit हिंदी09:22 PM IST, 11 Oct 2022NDTV Profit हिंदी
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नाइट फ्रैंक इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दर रेपो में वृद्धि से देश के सभी प्रमुख आवासीय बाजारों में लोगों की मासिक आय के हिसाब से किस्तें बढ़ गयी है और मकान खरीदने का उनका सामर्थ्य कम हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार चालू वर्ष 2022 में रिजर्व बैंक द्वारा चालू वर्ष में 30 सितंबर को रेपो में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कुल मिला कर रेपो दर 1.90 प्रतिशत ऊंची हो गयी. इससे आवास कर्ज की किस्तें ऊंची हुई हैं और पिछले दो वर्ष की तुलना में घर खरीदारों का सामर्थ्य घटा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि गृह ऋण दर में 0.95 प्रतिशत की संचयी वृद्धि से घर खरीदारों की सामर्थ्य और खरीद के निर्णयों को और भी प्रभावित करेगी. चालू कैलेंडर वर्ष 2022 के नौ महीने के आकलन के आधार पर तैयार नाइट फ्रैंक इंडिया के आवास सामर्थ्य सूचकांक के अनुसार, अहमदाबाद देश के शीर्ष आठ शहरों में सबसे किफायती आवास बाजार बना रहा.
अहमदाबाद शहर में एक औसत ग्राहक के लिए मकान का ईएमआई (मासिक किस्त) उसकी आय के 22 प्रतिशत के बराबर है, जबकि पिछले दो साल यह 20 प्रतिशत और 2010 में 46 प्रतिशत थी.

सामर्थ्य सूचकांक में अहमदाबाद के बाद पुणे (26 प्रतिशत) और चेन्नई ( 27 प्रतिशत) है। मुंबई इस हिसाब से सबसे महंगा शहर है जहां मकान की मासिक किस्त मासिक आमदनी के 57 प्रतिशत है. वहां पिछले दो साल में यह अनुपात 53 प्रतिशत तथा 2010 में 93 प्रतिशत था. इस सूची में मुंबई के बाद हैदराबाद (31 प्रतिशत), दिल्ली एनसीआर (30 प्रतिशत), बेंगलुरु (28 प्रतिशत) तथा कोलकाता और चेन्नई (दोनों 27-27 प्रतिशत) और पुणे (26 प्रतिशत) का स्थान है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के दौरान 2010 से 2021 तक लोगों की आमदनी की दृष्टि से मकान की किस्तों के अनुपात में लगातार सुधार (कमी का रुझान) देखा गया क्यों कि इस दौरान रिजर्व बैंक की नीतिगत ब्याज दर एक दशक के सबसे निचले स्तर पर चली गयी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक द्वारा लगातार चौथी बार रेपो दर बढाए जाने के बाद कर्ज महंगा होने मकान खरीदना महंगा हुआ है. केंद्रीय बैंक ने 30 सितंबर को रेपो में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की थी और इस तरह इस वर्ष रेपो में कुल 1.90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. ब्याज बढ़ने के बाद से खरीदारों का सामर्थ्य घटा है. इस दौरान मासिक आय की तुलना में किस्त का अनुपात औसतन दो प्रतिशत बढ़ गया है और ईएमआई भार में 7.4 प्रतिशित की वृद्धि हुई है.

नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, “वर्ष 2022 में आवास ऋण की औसत दरों में वृद्धि के कारण लोगों के लिए घर की वहनीयता बिगड़ी है. औसत गृह ऋण दर में 0.95 प्रतिशत की संचयी वृद्धि घर खरीदारों की सामर्थ्य और इस प्रकार उनके खरीद निर्णयों को भी प्रभावित करेगी. खरीदार अपनी खरीद को टालने के बजाय बड़े पैमाने पर कम कीमत वाले मकान के लिए आवश्यक समझौता करेंगे .”

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