कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) साल 2016 में प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल के मामले में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाने के अलावा अपने छह लाख करोड़ रुपये के सेवानिवृत्ति कोष से अधिक से अधिक रिटर्न हासिल करने की योजना लगा है।
ईपीएफओ का मुख्य ध्यान अपने छह करोड़ अंशधारकों की सेवा में सुधार करना है। इसके तहत पीएफ निकासी की ऑनलाइन सुविधा उपलब्ध कराना तथा उसकी सभी पेशकशों पर स्मार्टफोन के जरिये तत्काल पहुंच की सुविधा शामिल है। (पढ़ें - केंद्रीय कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग का तोहफा, करीब 24% बढ़ जाएगी सैलरी)
ऐसी भी उम्मीदें हैं कि ईपीएफओ अंशदाताओं को देय ब्याज दर बढ़ा सकता है, जो 2013-14 से 8.75 प्रतिशत पर बनी हुई हैं। अपने कोष पर अधिक रिटर्न हासिल करने के लिए ईपीएफओ ने वर्ष 2016 में एक छोटे कदम के साथ शेयर बाजार में भी प्रवेश किया है। उसने अपने कोष का एक छोटा हिस्सा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स में निवेश करना शुरू किया है।
इसके पहले वित्त मंत्रालय ने गैर-सरकारी भविष्य निधि कोषों के लिए निवेश के तरीके को अधिसूचित किया है। इसके तहत उन्हें अपने कोष का न्यूनतम पांच प्रतिशत व अधिकतम 15 प्रतिशत शेयर या शेयर आधारित योजनाओं में निवेश करने की अनुमति दी गई है। (पढ़ें- सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट में की गई दस अहम सिफारिशें)
सरकार के इस कदम के बाद तेजी से आगे बढ़ते हुए ईपीएफओ के ट्रस्टियों ने निवेश के इस तरीके को एक माह के भीतर ही ट्रेड यूनियनों के कड़े विरोध के बावजूद अपना लिया। उसने चालू वित्त वर्ष में अपनी बढ़ती हुई जमा का पांच प्रतिशत ईटीएफ में लगाने का फैसला किया। वित्त वर्ष 2015-16 में ईपीएफओ की बढ़ी जमा राशि अनुमानत: 1.2 लाख करोड़ रुपये रहेगी। इसमें से वह 6,000 करोड़ रुपये का निवेश कर सकता है। ईपीएफओ ने 30 नवंबर तक 3,174 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
सेवाओं के मोर्चे पर ईपीएफओ ने इस साल कई नई सेवाएं शुरू की हैं। इनमें ऑनलाइन हेल्पडेस्क की सुविधा भी शामिल है। इसके जरिये सदस्य अपने पुराने व परिचालन बंद पीएफ खातों का पता लगा सकते हैं।
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यदि पीएफ खातों में लगातार 36 महीने तक योगदान न किया जाए, तो यह बंद हो जाता है और ईपीएफओ इन खातों में ब्याज डालना बंद कर देता है। हालांकि, खाताधारक इन खातों के स्थानांतरण या निपटान के लिए आवेदन कर सकते हैं।