निर्वाचन आयोग ने आज केंद्र सरकार से कहा कि वह प्राकृतिक गैस की कीमत दोगुना करने संबंधी अधिसूचना को आम चुनावों की प्रक्रिया पूरी होने तक टाल दे। आयोग के इस कदम से प्राकृतिक गैस के दाम में वृद्धि कुछ और महीने के लिए टल जाएगी।
सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की सभी प्राकृतिक गैस उत्पादक कंपनियों के लिए नई कीमत प्रणाली अगले महीने से लागू होनी है। इसके तहत एक अप्रैल से प्राकृतिक गैस के दाम 8.3 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमबीटीयू) होने प्रस्तावित हैं, जो इस समय 4.2 डॉलर प्रति एमबीटीयू है।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (आप) प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाने के सरकार के फैसले का विरोध कर रही है। उसका कहना है यह फैसला रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।
आप नेता अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए तेल मंत्री एम वीरप्पा मोइली, रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी तथा अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। उनका आरोप था कि इन लोगों ने गैस कीमतें दोगुनी करने के लिए षड्यंत्र किया। उन्होंने निर्वाचन आयोग से मांग की थी कि गैस कीमतों में बढ़ोतरी को मंजूरी नहीं दी जाए। इसके अलावा भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता और एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने भी दर बढ़ाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस मुद्दे पर सुनवाई मंगलवार से फिर शुरू होगी।
प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ाने का फैसला जून 2013 में किया गया था और इस बारे में अधिसूचना इस साल 10 जनवरी को जारी हुई। पेट्रोलियम मंत्रालय ने नयी कीमतों की घोषणा करने के लिए निर्वाचन आयोग की अनुमति मांगी थी।
आयोग ने आज शाम पेट्रोलियम सचिव सौरभ चंद्रा को पत्र लिखा कि चूंकि यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है, गैस कीमतों में संशोधन पर फैसला टाला जा सकता है।
पत्र में लिखा गया है, .. मामले के माननीय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन होने सहित सभी प्रासंगिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आयोग ने फैसला किया है कि इस प्रस्ताव को टाला जा सकता है। इस फैसले का मतलब होगा कि प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी कम से कम कुछ महीनों के लिए टल जाएगी, क्योंकि नई सरकार संभवत: सारे फैसले की समीक्षा करते हुए नए सिरे से कुछ कदम उठाना चाहे।