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भारत में अर्थव्यवस्था में सुधार अभी भी असमान है : राजन

आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार अभी भी असमान है और उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत ठोस रूप से पांच प्रतिशत वृद्धि के दायरे में होगा। साथ ही अगले वित्त वर्ष में इसमें और बढ़ोतरी होगी।
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NDTV Profit हिंदी11:51 PM IST, 13 Oct 2014NDTV Profit हिंदी
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आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार अभी भी असमान है और उम्मीद जताई कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत ठोस रूप से पांच प्रतिशत वृद्धि के दायरे में होगा। साथ ही अगले वित्त वर्ष में इसमें और बढ़ोतरी होगी।

आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि वह फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बारे में बहुत चिंतित नहीं हैं, क्योंकि देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है।

उन्होंने कहा 'यह अभी भी असमान आर्थिक सुधार है, इसलिए मेरा अनुमान है कि यह तिमाही पिछली तिमाही के मुकाबले थोड़ी कमजोर होगी, लेकिन मेरा मानना है कि इस साल कुल मिला कर हम ठोस रूप से पांच प्रतिशत की वृद्धि के दायरे में और अगले साल हम मजबूती से छह प्रतिशत के दायरे में होंगे।'

राजन शनिवार को वाशिंगटन में इंस्टीच्यूट आफ इंटरनैशनल फाइनेंश में बोल रहे थे।

राजन ने यह भी कहा कि इस समय 'उंची-उंची घोषणाओं' की कोई जरूरत नहीं है। भारत को बस 'कुछ खामियां ठीक करने की जरूरत है'। उन्होंने इसी संदर्भ में कोयल एवं गैस क्षेत्र की समस्याओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इससे आर्थिक हालात में सुधार तेज होगा और देश पुन: लीक पर आ जाएगा।

राजन ने कहा कि भारत को अपने स्तर पर मोटी बातों के लिए तैयार रहने की जरूरत है। अच्छी खबर यह है कि इस समय बहुत से काम बहुत आसानी से हो सकते हैं। उन्होंने कहा, 'बहुत से फल नजदीक लटके हुए हैं, हमें उन्हें चुनने की जरूरत है।' उन्होंने कहा, 'निश्चित तौर पर यह एक बड़ा सवाल है कि हमने पहले ऐसा क्यों नहीं किया। लेकिन मेरा मानना है कि अब इसके लिए माहौल है और इसके लिए आवश्यक कदम उठाने की इच्छा भी है।' राजन ने कहा कि हमें उंची उंची घोषणाएं करने की नहीं बल्कि 'बुनियादी काम करने की जरूरत है।'

यह पूछने पर कि भारत कैसे उन बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करेगा जो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार ने आर्थिक वृद्धि में सुधार के लिए तय किए हैं, उन्होंने कहा 'हमें कुछ आधारभूत काम करने की जरूरत है जिससे अर्थव्यवस्था लीक पर आएगी।' थोड़े मजाकिया लहजे में कहा कि उम्मीदों को थोड़ा काबू में रखने की जरूरत है।

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