आंध्र प्रदेश में एक गैस पाइपलाइन में विस्फोट की घटना के बीच पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल एवं गैस उद्योग की सुरक्षा के उपाय तय करने के लिए देश में किसी कानूनी संस्था के न होने पर चिंता जाहिर की है।
विजयवाड़ा जिले में तड़के हुई इस घटना में में लगी भयानक आग से आज 15 लोगों के मारे गए और कई घायल हुए हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत आने वाला तेल उद्योग सुरक्षा निदेशालय (ओआईएसडी) तेल एवं गैस प्रतिष्ठानों का सुरक्षा लेखा करता है। साथ ही यह डिजाइन, परिचालन और मरम्मत के लिए प्रक्रिया बनाने एवं मानकीकरण का काम करता है।
हालांकि इस संस्था के पास सांविधिक अधिकार नहीं है।
तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री एस जयपाल रेड्डी ने अगस्त 2012 में निदेशालय को सांविधिक शक्ति देने का सुझाव दिया था, लेकिन इस प्रस्ताव पर अब तक अमल नहीं हुआ है।
प्रधान ने कहा, जब मैं इस मंत्रालय में आया तो मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि सुरक्षा के लिए कोई कानूनी संस्था नहीं है। यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि नई सरकार ओआईएसडी को सांविधिक अधिकार देने की दिशा में काम करेगी, जो फिलहाल सिर्फ सिफारिश कर सकती है।
सरकारी गैस कंपनी गेल इंडिया की पाइपलाइन में सुबह लगी आग से पहले इसी माह एचपीसीएल मित्तल एनर्जी लिमिटेड की बठिंडा रिफाइनरी में हल्की-फुल्की आग लगी थी। बठिंडा रिफाइनरी में लगी आग में कोई भी घायल नहीं हुआ था। इससे पहले 12 जून को छत्तीगढ़ में सेल के संयंत्र में गैस लीक होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 36 अन्य घायल हो गए थे।
पिछले साल अगस्त में हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्प लिमिटेड (एचपीसीएल) की आंध्र प्रदेश की विशाखापत्तनम रिफाइनरी में आग लगी थी, जिसमें 30 लोग मारे गए थे।
इससे पहले 29 दिसंबर 2009 में इंडियन ऑयल कापरेरेशन (आईओसी) जयपुर के तेल डीपो में लगी आग में दर्जनभर लोग मारे गए थे।
प्रधान ने कहा, हम जांच करने और आज की आग की जड़ का पता लगाने के साथ साथ तेल एवं गैस क्षेत्र के लिए कानूनी संस्था बनाने पर भी गंभीरता से विचार करेंगे।