सरकार ने 50 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज वाले एनपीए हो चुके खातों में बैंकों से धोखाधड़ी का पता लगाने को कहा है. बैंक प्रमुखों को चेतावनी देते हुये कहा गया है कि इन खातों में यदि बाद में धोखाधड़ी का पता चलता है तो उनके खिलाफ आपराधिक साजिश की कार्रवाई की जा सकती है. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है. गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा भूषण स्टील के पूर्व प्रवर्तक नीरज सिंघल की गिरफ्तारी के बाद यह संदेश दिया गया है. सिंघल को कोष की कथित हेराफेरी को लेकर गिरफ्तार किया गया है. सूत्रों ने कहा कि अगर बैंक अधिकारी समय पर धोखाधड़ी के बारे में रिपोर्ट देने में विफल रहते हैं और बाद में जांच एजेंसियां उसका खुलासा करती हैं तो उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के तहत जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. सूत्रों ने कहा कि यह परामर्श एक अतिरिक्त एहतियात के तौर पर दिया गया है ताकि बैंक अधिकारियों को कानूनी उलझन में फंसने से बचाया जा सके. एक दर्जन से अधिक कंपनियां दिवाला समाधान योजना से गुजर रही हैं.
इन मामलों में कोष के दूसरे जगह उपयोग समेत धोखाधड़ी गतिविधियों का पता लगाने के लिये बैंक तथा जांच एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं. बैंकों खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर फंसे कर्ज (एनपीए) को लेकर खासा दबाव है. इन बैंकों का एनपीए आठ लाख करोड़ रुपये से ऊपर पहुंच गया है. इसके अलावा बैंकों में कई तरह की धोखाधड़ी का भी पता चला है. इसमें पीएनबी में 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला प्रमुख है, जिसे कथित रूप से हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके सहयोगियों ने कुछ बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर अंजाम दिया. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि 10 से 12 कंपनियों में इस्पात बनाने वाली कंपनी तथा रीयल एस्टेट कंपनी के मामले में कुछ गड़बड़ियों को रेखांकित किया गया है.
उसने कहा, ‘‘कुछ जानकारी मिली है और बैंकों से पिछले पांच साल का लेन-देन रिकार्ड उपलब्ध कराने को कहा गया है. अगर जरूरत पड़ी तो बैंक फोरेंसिक आडिट भी करेंगे.’’ इस माह की शुरूआत में एसएफआईओ ने 2,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी को लेकर सिंघल को गिरफ्तार किया. उसने यह राशि कर्ज के जरिये जुटायी थी. एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा कि कुछ अन्य प्रवर्तकों ने भी हेराफेरी के लिये इसी तौर-तरीकों को अपनाया है. रिजर्व बैंक ने जून 2017 को 5,000 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया वाले 12 खातों की पहचान की थी.
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इन खातों में बैंकों के कुल एनपीए का 25 प्रतिशत कर्ज फंसा है. इन खातों को दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता कानून के तहत त्वरित उपचार के लिये भेजा गया. रिजर्व बैंक ने बाद में 28 और खातों को समाधान के लिये बैंकों को भेजा.