देश में डिजिटल कारोबार को बढ़ावा देने के लिए गठित मुख्यमंत्रियों की कमेटी ने आरबीआई से डेबिट और क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल पर लगने वाले शुल्क को घटाने की सिफारिश की है. अगर डिजिटल कारोबार को बढ़ावा देना है तो कार्ड से पेमेंट पर चार्ज आधे से भी कम करना होगा.
उक्त राय केंद्र सरकार की बनाई मुख्यमंत्रियों की कमेटी की है. फिलहाल 2000 रुपये तक .75% चार्ज लगता है यानी 2000 रुपये पर 15 रुपये और 2000 से ऊपर के कारोबार पर एक फीसदी चार्ज लगता है.
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने आज एनडीटीवी से कहा कि देश में करीब 80 करोड़ डेबिट कार्ड हैं...लेकिन ज्यादातर कार्डधारक कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ कैश निकालने के लिए करते हैं...अब समय आ गया है कि वे डेबिट कार्ड से दूसरे तरह के ट्रांजेक्शन करना शुरू करें...लेकिन इसके लिए ग्राहकों को इंसेंटिव देना होगा...कार्ड के इस्तेमाल पर शुल्क कम करने होंगे.
सरकार ने छोटे कारोबारियों को ऑनलाइन कारोबार पर काफी रियायत देने का ऐलान किया है, लेकिन किराना दुकानदार इससे बहुत उत्साहित नहीं हैं. सेन्ट्रल दिल्ली के साउथ एवेन्यू में सांसदों की कॉलोनी में एनडीटीवी को ऐसे कई किराना दुकानदार मिले जिन्होंने सवाल उठाया कि डिजिटल ट्रांजेक्शन की तरफ कदम अगर वे बढ़ाते हैं तो उसका खर्च कौन उठाएगा. उनका कहना है कि किराना दुकानदारों का प्रॉफिट मार्जिन कम होता है...स्वाइप मशीन लगाने से हर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर दो फीसदी का चार्ज लगेगा.
अब सवाल है कि यह 2% का जो अतिरिक्त खर्च है हर ट्रांजेक्शन पर उसका भार कौन उठाएगा? अगर यह बोझ वे खुद उठाते हैं तो उनका मुनाफा और घट जाएगा...बाजार में कम्पिटीशन ज्यादा है...अगर उपभोक्ता पर यह खर्च ट्रांसफर करते हैं तो डर है कि वे उनसे दूर चले जाएंगे. उपभोक्ताओं को 31 दिसंबर तक डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर किसी भी तरह के चार्ज से छूट दी गई है लेकिन अगले साल से उन्हें भी इस्तेमाल पर चार्ज देना पड़ेगा.
किराना दुकानदार अशोक खुराना ने कहा, "स्वाइप मशीन लगाने से हर ट्रांजेक्शन पर खर्च 2% आएगा. जो उपभोक्ता हमारे पास आते हैं वे कार्ड का इस्तेमाल बहुत कम करते हैं. वे कैश में सामान खरीदना ज्यादा पसंद करते हैं."
मुश्किल यह भी है कि जो बड़े थोक व्यापारी हैं वे कैश में पेमेन्ट चाहते हैं, क्योंकि वे ट्रांजेक्शन को बैंकिंग चेनलों से नहीं करना चाहते. सवाल नेटवर्क की स्थिरता को लेकर भी है. यानी डिजिटल कारोबार की राह अब भी आसान नहीं है.