रतन टाटा के काबिल वारिस के खोज की वर्षों चली लंबी कवायद 2012 में साइरस पल्लोनजी मिस्त्री (48) पर ठहरी और उनको इस ग्रुप के चेयरमैन की कमान सौंप दी गई. जिस ऊंचाई और रुतबे तक रतन टाटा ने ग्रुप को पहुंचाया, उससे भी कई गुना ऊंचे लक्ष्य के साथ इस आयरिश-इंडियन बिजनेसमैन को कमान सौंपी गई.
ऐसा दूसरी बार हुआ जब कमान गैर टाटा सरनेम वाले शख्स के हाथों में दी गई. उनसे पहले टाटा खानदान से बाहर के नौरोजी सक्लतवाला 1932 में कंपनी के प्रमुख रहे थे.साइरस के पिता पल्लोनजी मिस्त्री कंस्ट्रक्शन क्षेत्र की दिग्गज हस्ती माने जाते हैं. मीडिया से दूर रहने वाले पल्लोनजी वर्षों तक भारत के 10 सबसे अमीर हस्तियों में शामिल रहे हैं. रतन टाटा ने उनको अपना काबिल उत्तराधिकारी कहा और 'द इकोनॉमिस्ट' ने तब भारत और ब्रिटेन का सबसे महत्वपूर्ण उद्योगपति करार दिया.
साइरस के दादा ने 1930 के दशक में पहली बार टाटा संस के शेयर खरीदे. शेयरों की यह हिस्सेदारी 2011 में पल्लोनजी मिस्त्री के पास बढ़कर 18.5 प्रतिशत तक हो गई. उनकी पूरे टाटा ग्रुप में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. साइरस के पास आयरलैंड की नागरिकता है.
टाटा ग्रुप की स्थापना 1868 में हुई थी. करीब 15 दशकों के इतिहास में साइरस मिस्त्री टाटा समूह के छठे चेयरमैन बनाए गए. 100 से भी अधिक बिजनेस क्षेत्रों में यह कंपनी सक्रिय रही है. इससे पहले रतन टाटा के हाथों में जब कंपनी की कमान सौंपी गई थी तब समूह का राजस्व छह अरब डॉलर था लेकिन उन्होंने इसे दो दशकों के भीतर नई ऊंचाईयों तक पहुंचाते हुए 2012 में कंपनी की कमान जब साइरस को सौंपी तब तक कंपनी की हैसियत 100 अरब डॉलर तक पहुंच चुकी थी.
2021 में कंपनी के राजस्व को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ साइरस को कमान दी गई थी. उससे पहले 2006 से वे कंपनी के एक निदेशक के रूप में कार्यरत रहे. पूर्व में मिस्त्री शापूरजी पालोंजी समूह के प्रबंध निदेशक थे. मिस्त्री ने 1990 में लंदन की इंपीरियल कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया. 1997 में उन्होंने लंदन बिज़नेस स्कूल से मैनेजमेंट में एमएससी किया.
लेकिन हालिया वर्षों में सामाजिक रूप से जवाबदेह माना जाने वाला इस ग्रुप की वित्तीय सेहत में गिरावट दर्ज की गई है. हाल में इस सिलसिले में ''द इकोनॉमिस्ट'' में 'मिस्त्रीज़ एलीफेंट' के नाम से एक आर्टिकल भी प्रकाशित हुआ था. उसमें बताया गया था कि टीसीएस जैसी चुनिंदा कंपनियों को छोड़कर टाटा समूह की अनेक कंपनियों प्रदर्शन के स्तर पर संघर्ष करती दिख रही हैं. उनके कमतर प्रदर्शन को अब साइरस की विदाई के साथ जोड़कर देखा जा रहा है.