सरकार के 500 और 1,000 रुपये के नोट को अमान्य करने के फैसले से गरीबों को काफी परेशानी हुई है और इससे आगामी 30 दिसंबर तक अर्थव्यवस्था को 1.28 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने यह बात कही.
मित्रा ने एक सम्मेलन में कहा, 'मेरी चिंता इससे आम गरीब व्यक्ति पर पड़ने वाली दोहरी मार को लेकर है. इससे आम आदमी को काफी परेशानी हुई है. इसका कारोबारी गतिविधियों पर भी बुरा असर पड़ा है और 50 दिन में इससे 1.28 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन का नुकसान होने का अनुमान है. इससे छोटे और मध्यम यहां तक कि बड़े उद्योग भी कमजोर पडेंगे.' सरकार ने लोगों को पुराने 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट 30 दिसंबर तक बैंकों में जमा कराने का समय दिया है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने शुरू से ही वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) का समर्थन किया है. लेकिन जीएसटी की तैयारियों के बीच नोटबंदी के फैसले से पैदा हुए व्यावधान की वजह से अर्थव्यवस्था पर बुरा असर होगा.
मित्रा ने कहा कि देश के वित्तीय ढांचे में आए नोटबंदी के व्यवधान से व्यापार, सामान और सेवाओं और विनिर्माण के क्षेत्र में लेनदेन प्रक्रिया काफी बाधित होगी. उन्होंने कहा कि सोवियत रूस, म्यांमार, घाना और नाइजीरिया जैसे कई देशों में इस तरह के कदम उठाये गए, लेकिन सभी स्थानों पर यह असफल रहा. मित्रा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था मुख्य तौर पर कृषि आधारित है और सरकार के इस कदम से इस पर बुरा प्रभाव पड़ेगा.
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