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ब्याज दरें जस की तस, महंगाई पर अंकुश को प्राथमिकता

रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई जारी रखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है पर बैंकों के पास नकदी की स्थिति में सुधार लाने के लिए बैंकों पर सरकारी प्रतिभूतियों में अनिवार्य निवेश की न्यूनतम सीमा को उनकी जमाओं के एक प्रतिशत घटा दिया है।
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NDTV Profit हिंदी09:40 PM IST, 31 Jul 2012NDTV Profit हिंदी
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया और कहा कि दरों में कटौती से मुद्रास्फीतिक दबाव और बढ़ जाएगा।

आरबीआई ने हालांकि अप्रत्याशित रूप से सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को 24 फीसदी से घटाकर 23 फीसदी कर दिया, जो 11 अगस्त से लागू होगा।

एसएलआर में एक प्रतिशतांक की अप्रत्याशित कटौती का मकसद बाजार को कर्ज का प्रवाह बढ़ाना है। इस कदम से आरबीआई ने वाणिज्यिक बैंकों का ऋण देने योग्य संसाधन 62,217 करोड़ रुपये बढ़ा दिया है।

भारत में एसएलआर कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं से अधिक है।

मौद्रिक नीति की पहली तिमाही समीक्षा में आरबीआई ने रेपो दर आठ फीसदी और रिवर्स रेपो दर सात फीसदी पर बरकरार रखा। रेपो दर वह ब्याज दर होती है, जिस पर आरबीआई व्यावसायिक बैंकों को ऋण देता है। रिवर्स रेपो दर वह दर होती है, जिस पर आरबीआई व्यावसायिक बैंकों से कर्ज लेता है।

बैंक ने नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) भी 4.75 फीसदी पर बरकरार रखा। सीआरआर वह राशि होती है, जिसे व्यावसायिक बैंकों को आरबीआई के पास जमा रखना पड़ता है।

इन दरों के आधार पर ही व्यावसायिक बैंक आम जनता और कम्पनियों के लिए जमा और ऋण पर ब्याज दरों का निर्धारण करते हैं।

आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, "मौजूदा स्थितियों में नीतिगत दरों में कटौती से मुद्रास्फीति का दबाव और बढ़ जाएगा।"

गवर्नर डी. सुब्बाराव ने नीति समीक्षा में कहा, "मौद्रिक नीति में मुख्यत: महंगाई के नियंत्रण पर ध्यान दिया गया है, ताकि मध्यावधि में विकास की निरंतरता को बरकरार रखा जा सके। पिछले देा सालों की मौद्रिक नीति से सम्भव है कि विकास दर धीमा हुआ हो, लेकिन इसमें अन्य कारकों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।" उन्होंने हालांकि कहा कि जरूरत पड़ने पर आरबीआई समुचित कदम उठाने के लिए तैयार है।

महंगाई दर जून में 7.25 फीसदी दर्ज की गई। यह पिछले पांच महीने में सबसे कम है, लेकिन आरबीआई के सुविधाजनक स्तर चार से पांच फीसदी से काफी अधिक है।

इससे पहले बैंक ने 18 जून को मध्य तिमाही समीक्षा में भी मुख्य दरों को अपरिवर्तित छोड़ दिया था।

मौजूदा कारोबारी साल के लिए मौद्रिक नीति की अगली मध्य तिमाही समीक्षा की घोषणा 17 सितम्बर, 2012 को की जाएगी।

बैंक के फैसले के बारे में वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा कि रिजर्व बैंक का कदम सही दिशा में है। एसएलआर को घटाने का फैसला भी काफी महत्वपूर्ण है। इससे सही संकेत मिलेगा।

रिजर्व बैंक ने मौजूदा कारोबारी साल के लिए विकास के पूर्वानुमान को घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया। बैंक ने पहले अप्रैल में 7.3 फीसदी विकास दर का पुर्वानुमान जताया था।

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