गांधीनगर : तेजी से बढ़ती शहरी आबादी के लिए आवास मुहैया कराने के वास्ते और निवेश को लुभाने के लिए भारत की कोशिश दर्जनों स्मार्ट सिटी बनाने की है और ऐसी ही एक स्मार्ट सिटी पश्चिमी भारत में साबरमती नदी के धूल से भरे किनारे पर बन रही है।
फिलहाल तो इसमें आधुनिक अंडरग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर और दो ऑफिस ब्लॉक के अलावा ज्यादा कुछ नहीं है। लेकिन आगे की योजना है कि इसे काफी सुनियोजित तरीके से महानगर के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां चमकदार टॉवर्स होंगे, नलों में पीने लायक पानी होंगे, स्वचालित तरीके से कचरा जमा करने की सुविधा और लगातार बिना किसी बाधा के बिजली की सप्लाई होगी।
साल 2050 तक भारत की शहरी आबादी 40 करोड़ बढ़कर 81.4 करोड़ हो जाएगी और शहरीकरण के मामले में भारत वैसी स्थिति का सामना करना रहा है, जैसी स्थिति इससे पहले सिर्फ चीन ने देखी थी।
शहरों की बढ़ती आबादी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल मई में आम चुनावों से पहले वादा किया था कि 2022 तक 100 स्मार्ट सिटी बनाए जाएंगे। कंसलटेंट केपीएमजी के अनुमान के मुताबिक 6.2 लाख करोड़ की लागत की यह योजना, पीएम मोदी के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के नजरिये और लाखों लोगों को रोजगार हासिल होने के लिहाज से काफी अहम है।
यह महत्वाकांक्षी योजना गुजरात की राजधानी गांधीनगर के बाहरी हिस्से में साकार होने जा रही है। सरकार का मानना है कि यह पहली स्मार्ट सिटी भारत के शहरों के भविष्य के लिए मॉडल के रूप में उभरकर सामने आएगी।
सरकार के लिए विकास के नए दिशानिर्देश तैयार करने में मदद करने वाले संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के निदेशक जगन शाह कहते हैं कि ज्यादातर भारतीय शहर संगठित तरीके से नहीं विकसित किए गए हैं।
गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट) के नाम से बन रही यह स्मार्ट सिटी मजबूत वित्तीय केंद्र के रूप में सामने आएगी, जहां बैंकों, ब्रोकरों और अन्य उद्योगों के लिए टैक्स और अन्य प्रकार की छूटें मिलेंगी।
आईएलएंडएफएस इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन की साझेदारी के तहत विकसित की जा रही इस स्मार्ट सिटी का लक्ष्य देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के अलावा दुबई और सिंगापुर जैसे विदेशी शहरों को भी टक्कर देने की है।