बिजली एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनी कोल इंडिया के विभाजन की अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा है कि नई सरकार विश्व की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी को विखंडित नहीं होने देगी।
उन्होंने कहा कि इसकी बजाय सरकार कंपनी का प्रदर्शन सुधारने के लिए उसकी दिक्कतों को दूर करेगी। नई सरकार कोयला क्षेत्र की समस्या जल्दी दूर करना चाहती है, ताकि देश भर में बिना बाधा बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
कोयला सबसे सस्ता ईंधन है और देश में आधे से ज्यादा बिजली उत्पादन में इसका इस्तेमाल होता है। कोयला भंडार के मामले में भारत में वैश्विक स्तर पर पांचवें स्थान पर है, लेकिन पर्यावरण संबंधी मंजूरी में देरी, भूमि अधिग्रहण की समस्या और अक्षम प्रणाली के कारण देश विश्व का तीसरा सबसे बड़ा आयातक बन गया है।
50-वर्षीय गोयल का मानना है कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) को एक कंपनी के रूप में बनाए रखकर समस्या का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने कहा, हम विस्तार से कोल इडिया के प्रदर्शन का आकलन कर रहे हैं और मुझे लगता है कि इसकी दिक्कतें दूर करने और विभिन्न खानों का उत्पादन बढ़ाने में बड़ी संभावना है।
उन्हें लगता है कि मूल्य बढ़ाने और दक्षता बढ़ाने के लिए कोल इंडिया की सात कंपनियों को स्वतंत्र कंपनियों में तब्दील करने की बजाय एक कंपनी के रूप में बरकरार रखना फायदेमंद है, जिसका भारत के कुल कोयला उत्पादन में 80 प्रतिशत योगदान है। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि इससे शेयर बाजार में कंपनी का मूल्यांकन बढ़ सकता है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि संयुक्त होल्डिंग अच्छे प्रदर्शन के आड़े आती है।