टाटा समूह और उसके पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के बीच तकरार बढ़ती नजर आई. मिस्त्री खेमे ने कंपनियों पर नियंत्रण और स्वतंत्र निदेशकों के बारे में टाटा समूह के बयान को खारिज करते हुए उन्हें ‘सचाई से कोसों दूर’ और ‘सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया जबकि टाटा संस ने कहा कि वह मिस्त्री के निष्कासन से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए जो भी कदम जरूरी होगा, उठाएगी.
टाटा संस के 10 नवंबर के पत्र के जवाब में सायरस मिस्त्री की ओर से जवाबी हमले में कहा गया कि समूह की कंपनियों के स्वतंत्र निदेशकों की आलोचना ‘सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण’ है. टाटा संस के आरोपों का जवाब देते हुए मिस्त्री के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘‘यह कहना ‘सत्य से कोसों दूर’ है कि उनके नेतृत्व में समूह की कंपनियां ‘समूह के प्रवर्तक और अपने प्रमुख शेयरधारक से दूर होती जा रही थीं’.
मिस्त्री के कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह कहना कि स्वतंत्र निदेशकों के रूप में अमानती की भूमिका निभा रहे भारतीय उद्योग जगत के इन नामी लोगों को किसी ‘निहित उद्देश्य’ या ‘चतुर चाल’ से बहकाया जा सकता है, ‘सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण’ है. उन्होंने कहा कि टाटा संस की ओर से ‘भारतीय कंपनी जगत के नामी लोगों’ की स्वतंत्रता पर उंगली उठायी जा रही है.
टाटा संस ने हाल में कंपनी के चेयरमैन पद से हटाए गए सायरस मित्री के खिलाफ अपना रख कड़ा करते हुए कहा कि मिस्त्री के निष्कासन से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए जो भी जरूरी होगा किया गया. टाटा संस समूह की धारक कंपनी है. कंपनी ने समूह के स्वतंत्र निदेशकों से अपेक्षा की है कि वे टाटा की कंपनियों के भविष्य और उनके सभी अंशधारकों के हितों की रक्षा को सुनिश्चित करेंगे.
मिस्त्री खेमे के बयान के बाद देर शाम को जारी एक बयान में टाटा संस ने कहा है कि उसके 10 नवंबर के बयान में तथ्य सामाने रखे जा चुके हैं ताकि मिस्त्री को हटाने के निदेशक मंडल के निर्णय को ‘अपेक्षित संदभरें के साथ देखा जा सके.’ बयान में कहा गया है कि ‘टाटा संस का प्रबंधन स्थिति से निपटने के लिए जो भी जरूरी होगा करेगा.’