बजट 2020 को अंतिम रूप देने में जुटीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए 2019-20 में तय टारगेट के मुताबिक टैक्स कलेक्शन एक मुश्किल चुनौती साबित हो सकता है. मंदी की वजह से अर्थव्यवस्था की रफ्तार घटती जा रही है, और साथ ही सरकार का रेवेन्यू कलेक्शन का टारगेट भी पीछे छूटता जा रहा है. अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने में जुटीं वित्त मंत्री को अब एक नई चुनौती से जूझना पड़ रहा है.
कंट्रोलर जनरल आफ एकाउंट्स के पास मौजूद नवंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक टैक्स कलेक्शन टारगेट से पीछे रहा है. वर्ष 2019-20 में टैक्स रेवेन्यू (नेट) का बजटीय अनुमान 1649582 करोड़ था. नवंबर 2019 तक कुल टैक्स रेवेन्यू (नेट) कलेक्शन 7,50,614 करोड़ ही हो पाया है. यह बजटीय अनुमान का सिर्फ 45.5% है. यानी मौजूदा वित्तीय साल के पहले 8 महीने में टार्गेट का आधा भी हासिल नहीं हो पाया है.
दरअसल मंदी की मार झेल रहे उद्योग जगत को कार्पोरेट टैक्स में राहत देने का ऐलान किया गया जिसका असर भी रेवेन्यू कलेक्शन पर पड़ा है. कंट्रोलर जनरल आफ एकाउंट्स के मुताबिक टारगेट से पीछे टैक्स कलेक्शन नवंबर 2019 तक कुल कार्पोरेशन टैक्स कलेक्शन 2,88,602 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले साल नवंबर 2018 तक 2,91,254 करोड़ रुपये का कलेक्शन हो चुका था. यानी पिछले साल से 2652 करोड़ कम (-0.91%).
सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल का असर भारत पर पड़ रहा है लेकिन उनका दावा है कि भारत की अर्थव्यवस्था के फंडामेन्टल्स मज़बूत हैं. कैबिनेट ब्रीफिंग में जावड़ेकर ने बुधवार को कहा "बजट में आपको टैक्स कलेक्शन के आधिकारिक आंकड़े मिलेंगे. किसी को भी भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर निराशावादी सोच नहीं रखना चाहिए."
उधर वर्ल्ड इकानामिक फोरम में भी गिरती भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जतायी गई है. अनीश शाह, प्रेसिडेन्स, ग्रुप स्ट्रेटिजी, महेंद्रा ग्रुप ने दावोस में एनडीटीवी से कहा "मंदी का कई ऑटो कंपनियों पर मंदी का असर पड़ा है.ऑटो कम्पोनेंट इंडस्ट्री पर भी बुरा असर पड़ा है."
अब देखना होगा कि वित्त मंत्री बजट 2020 में इस चुनौती से निपटने के लिए क्या रोडमैप पेश करती हैं.