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अगले साल से देश में जीएसटी के लागू होने का भरोसा : जेटली

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि उन्हें विश्वास है कि 1 अप्रैल, 2016 से पूरे देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो जाएगा। उन्होंने साथ ही कहा कि राज्य सरकारें आम तौर पर इसके फायदों को समझने लगी हैं।
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NDTV Profit हिंदी05:06 PM IST, 22 Apr 2015NDTV Profit हिंदी
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केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा कि उन्हें विश्वास है कि 1 अप्रैल, 2016 से पूरे देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो जाएगा। उन्होंने साथ ही कहा कि राज्य सरकारें आम तौर पर इसके फायदों को समझने लगी हैं।

जेटली ने राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ हुई एक बैठक के बाद कहा, "हम एक ऐसी योजना बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) ढांचा के सहारे, जिसका निर्माण कर लिया गया है, हम 1 अप्रैल, 2016 को इसे लागू करने के लक्ष्य को हासिल कर लेंगें। अभी तक की स्थिति के मुताबिक हम इसे लेकर काफी आशावान हैं।"

उन्होंने कहा, "राज्य सरकार जीएसटी के फायदों को देख पा रहीं हैं। राज्य और केंद्र एक ही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि जीएसटी से पूरा देश एक समग्र बाजार बन जाएगा। वह वित्त मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह के नए अध्यक्ष केरल के वित्त मंत्री के. एम. मणि की अध्यक्षता में पहली बार इस समूह की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

जेटली ने कहा, "हम संसद के मौजूदा सत्र में ही संविधान संशोधन का काम करेंगे। उसके बाद अधिकार प्राप्त समूह तीन अन्य विधेयकों का निर्माण करेगा।" यह समूह उप समूहों की सलाहों पर भी गौर करेगा।

जेटली ने कहा कि चूंकि यह विधेयक संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए इसे दोनों सदनों में दो-तिहाई मत से पारित कराने की जरूरत है। उनकी पार्टी विपक्ष से इसे पारित करने में मदद करने का अनुरोध कर रही है।

इससे पहले मणि ने संवाददाताओं से यहां कहा था कि कोई भी राज्य इसका विरोध करने पर अड़ा हुआ नहीं है और अगले साल के अप्रैल से इसे लागू करने को लेकर सहमति बनने की पूरी संभावना है।

केंद्रीय बिक्री कर को 4 फीसदी से घटकर 2 फीसदी किए जाने के कारण 2010-11 से तीन साल तक की अवधि में राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत महीने राज्यों को भुगतान किए जाने की मंजूरी दे दी है।

सूत्रों ने कहा कि प्रारंभिक अनुमानों के मुताबिक, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 33 हजार करोड़ रुपये दिए जा सकते हैं। राज्यों की मांग है कि पेट्रोलियम, शराब और तंबाकू को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाए।

कानून बनने के लिए जीएसटी विधेयक को संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना जरूरी है। इसके साथ ही देश के आधे राज्यों की विधानसभा द्वारा भी इसे पारित किया जाना जरूरी है।

जीएसटी लागू होने के बाद उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट और बिक्री कर जैसे अधिकतर अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो जाएंगे और पूरा देश एक समग्र बाजार बन जाएगा। इससे कंपनियों को देश में अपना कारोबार फैलाने में सुविधा होगी और इससे महंगाई भी कम होगी।

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