ADVERTISEMENT

ब्रिक्स क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के गठन को लेकर नहीं बन पायी शिखर बैठक में सहमति

भारत ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में यहां एक स्वतंत्र रेटिंग एजेंसी की स्थापना के प्रस्ताव पर पर निर्णय के लिये जोर दिया लेकिन इस पर आम सहमति फिलहाल नहीं बन सकी है. सदस्य देशों ने अलग क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के प्रस्ताव को समूह की ‘कार्य योजना’ में रखा है और कहा है कि इस प्रस्ताव पर अभी विशेषज्ञों द्वारा गौर किया जाएगा.
NDTV Profit हिंदीBhasha
NDTV Profit हिंदी08:20 AM IST, 17 Oct 2016NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

भारत ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में यहां एक स्वतंत्र रेटिंग एजेंसी की स्थापना के प्रस्ताव पर पर निर्णय के लिये जोर दिया लेकिन इस पर आम सहमति फिलहाल नहीं बन सकी है. सदस्य देशों ने अलग क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के प्रस्ताव को समूह की ‘कार्य योजना’ में रखा है और कहा है कि इस प्रस्ताव पर अभी विशेषज्ञों द्वारा गौर किया जाएगा.

भारत ने विकासशील देशों की वृद्धि की जरूरतों के मद्देनजर ब्रिक्स की अलग क्रेडिट रेटिंग एजेंसी बनाने का विचार रखा है क्योंकि रेटिंग बाजार पर अमेरिकी की तीन प्रमुख एजेंसियों फिच, मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पुअर्स का दबदबा है.

अधिकारियों के अनुसार ब्रिक्स के कुछ सदस्यों ने वाणिज्यिक आधार पर काम करने वाली अमेरिका की तीन बड़ी रेटिंग एजेंजियों के टक्कर में प्रस्तावित नई इकाई की ‘विश्वसनीयता’ तथा उसे ‘भरोसेमंद आंकड़ों’ की उपलब्धता को लेकर चिंता जतायी. आठवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद आर्थिक संबंद्ध सचिव अमर सिन्हा ने कहा, ‘सदस्य देशों के नेता इस प्रस्ताव से मुख्यत: सहमत थे लेकिन समझौते पर फिलहाल हस्ताक्षर नहीं कर सके क्योंकि उनका मानना था कि विशेषज्ञों को इस पर और बारीकी से गौर करने की आवश्यकता है.’ उन्होंने कहा कि आम सहमति के अभाव में इस मुद्दे को ‘कार्य योजना’ में रख दिया गया और इसे गोवा घोषणापत्र में नहीं डाला गया.

चिंताओं के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के लिए जरूरी है कि उसको लेकर भरोसा हो और उसे भरोसेमंद आंकड़े उपलब्ध हों. अब विशेषज्ञ इन दो चीजों पर विचार करेंगे.’ हालांकि सिन्हा ने कृषि अनुसंधान और सीमा शुल्क सहयोग जैसे आर्थिक सहयोग के अन्य मुद्दों पर आम सहमति कायम होने की बात का उल्लेख करते हुए कहा कि रेटिंग एजेंसी का मुद्दा कोई झटका नहीं हैं. पीएम मोदी ने अपने समापन भाषण में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी का प्रस्ताव किया था.

उन्होंने संयुक्त घोषणापत्र में कहा, ‘वैश्विक वित्तीय ढांचे में अंतर को और पाटने के लिये हम ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी स्थापित करने में तेजी लाने में सहमत हुए हैं.’ भारत ने सबसे पहले ब्रिक्स समूह के लिये इस प्रकार के एजेंसी का विचार दिया था जो मौजूदा सीआरए (क्रेडिट रेटिंग एजेंसी) बाजार से उत्पन्न उभरती अर्थव्यवस्था के लिये बाधाओं को दूर कर सकती है. फिलहाल साख निर्धारण के मामले में अमेरिका के वाल स्ट्रीट स्थित स्टैंडर्ड एंड पूअर्स, मूडीज और फिच का दबदबा है. इन तीनों इकाइयों का 90 प्रतिशत सरकारी साख निर्धारण बाजार पर नियंत्रण है.

विचार विमर्श के दौरान भारतीय अधिकारी मौजूदा साखा निर्धारण की खामियों को प्रमुखता से रखने और वैकल्पिक रेटिंग एजेंसी की जरूरत को रेखांकित करने में आगे थे. सप्ताहांत मीडिया रपटों के अनुसार चीन ने प्रस्ताव को लेकर कुछ चिंता जतायी थी और फिलहाल इसके गठन के पक्ष में नहीं था. इससे पहले ब्रिक्स समूह द्वारा नई रेटिंग एजेंसी गठित करने की वकालत करते हुए नव विकास बैंक के अध्यक्ष के वी कामत ने तीन बड़ी वैश्विक रेटिंग एजेंसियों फिच, मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पूअर्स के रेटिंग तय करने के तौर-तरीकों को लेकर चिंता जतायी और कहा कि उनके नियम उभरते देशों में वृद्धि के रास्ते की बाधा हैं. भारतीय निर्यात आयात बैंक ने भी ब्रिक्स देशों के लिये स्वतंत्र रेटिंग एजेंसी की पुरजोर वकालत की थी.

NDTV Profit हिंदी
लेखकBhasha
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT