ADVERTISEMENT

बड़े नोटों पर पाबंदी कालेधन की अर्थव्यवस्था के खिलाफ 'साहसिक कदम' : बिल गेट्स

भारत में बड़े मूल्य के नोटों के चलन पर प्रतिबंध के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय की तारीफ करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने कहा है कि यह एक 'साहसिक कदम' है और इससे देश में कालेधन की अर्थव्यवस्था घटेगी.
NDTV Profit हिंदीNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी08:34 AM IST, 18 Nov 2016NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
NDTV Profit हिंदी
Follow us on Google NewsNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदीNDTV Profit हिंदी

भारत में बड़े मूल्य के नोटों के चलन पर प्रतिबंध के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय की तारीफ करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने कहा है कि यह एक 'साहसिक कदम' है और इससे देश में कालेधन की अर्थव्यवस्था घटेगी.

नीति आयोग द्वारा यहां आयोजित 'भारत का कायाकल्प' शीर्षक व्याख्यान माला का दूसार व्याख्यान देते हुए गेट्स ने कहा कि डिजिटल तरीकों से लेनदेन से पारदर्शिता बढ़ेगी और रिसाव कम होगा.' गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 8 नवंबर को अप्रत्याशित निर्णय कर 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद कर दिया है.

गेट्स ने कहा, 'उंचे मूल्य के नोटों को चलन से बाहर करने और उनके बदले नए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों वाले नोटों को लाने का कदम भारत में कालेधन की अर्थव्यवस्था को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.' उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल वित्तीय समावेश के सभी साधन मौजूद है. आधार से खाता खोलने की कागजी कार्रवाई कम होगी और यह काम 30 सेकेंड में हो जागा. आधार से एक एकीकृत डाटा भंडार भी बनेगा. जल्दी ही शुरू होने वाले भुगतान बैंक और मोबाइल फोन के सर्वत्र प्रसार से हर भारतीय को डिजिटल खाते और हर प्रकार की कंप्यूटर प्रणाली से संपर्क की जा सकने वाली और धोखाधड़ी से निरापद भुगतान प्रणाली के साथ जोड़ा जा सकता है.

स्वास्थ्य के संदर्भ में गेट्स ने कहा कि 'अगर भारत में स्वास्थ्य संबंधी किसी एक समस्या का समाधान करने की कोई जादू की छड़ी मेरे पास हो, तो मैं उससे कुपोषण के संकट को दूर करना चाहूंगा.' भारत में कुछ ऐसे राज्य एवं क्षेत्र हैं, जहां कुपोषण कोई अनोखी नहीं बल्कि एक सामान्य बात है. उन्होंने बच्चों में कुपोषण के चलते भारत की अर्थव्यवस्था को 2030 तक सालाना 46 अरब डॉलर का नुकसान होने का अनुमान है. देश में पांच वर्ष से कम के 4.4 करोड़ बच्चों का शारीरिक विकास कम है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

NDTV Profit हिंदी
लेखकNDTV Profit Desk
NDTV Profit हिंदी
फॉलो करें
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT