15 क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का रास्ता आसान बनाने के सरकार के फैसले के विरोध में भारतीय जनता पार्टी का मजदूर सगंठन उतर आया है। प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की गई है। संगठन ने मांग नहीं मानने पर सड़कों पर उतरने की धमकी दी है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का विरोध
भारतीय जनता पार्टी के मजदूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ ने रिटेल और रक्षा के क्षेत्र में केंद्र सरकार की ओर से विदेशी निवेश को मंजूरी देने का विरोध किया है। भारतीय मजदूर संघ ने पीएम को चिट्ठी लिखकर अपील की है कि वह इस फैसले पर दोबारा विचार करें।
मजदूर संघ की ओर से लिखी गई चिट्ठी
मजदूर संघ की ओर से लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि सरकार को यह फैसला लेने से पहले संबंधित पक्षों से इस बात पर राय जान लेनी चाहिए थी कि इससे लोगों को फायदा होगा भी या नहीं। मजदूर संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि रिटेल में विदेशी कंपनियों के आने से न केवल स्थानीय दुकानदारों का काम प्रभावित होगा बल्कि बड़े स्तर पर बेरोज़गारी भी बढ़ेगी। मजदूर संघ ने अपनी चिट्ठी में साफ कहा है कि अगर सरकार उनकी इस अपील पर विचार नहीं करती है तो वह इसके विरोध में सड़कों पर उतरेंगे।
आर्थिक सुधारों की बड़ी घोषणा
सरकार ने आर्थिक सुधारों की दिशा में बड़ी घोषणा करते हुए खनन, नागरिक उड्डयन, रक्षा, ब्रॉडकास्टिंग, निर्माण समेत 15 क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई के नियमों को आसान बना दिया है। रबड़, कॉफी, इलायची, पाम ऑयल और जैतून की बागवानी में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। एफआईपीबी की मंजूरी की सीमा 3,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5,000 करोड़ रुपये कर दी गई है।
ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र में भी विदेशी निवेश
ब्रॉडकास्टिंग के क्षेत्र में भी विदेशी निवेश की नीति को ढीला किया गया है। एफआईपीबी के जरिये ब्रॉडकास्ट में 49 फीसदी एफडीआई की इजाजत दी गई है, जबकि न्यूज चैनलों में भी एफडीआई सीमा 26 से बढ़ाकर 49% कर दी गई है। खबरें न देने वाले चैनलों और टेलिपोर्ट, डीटीएच, केबल नेटवर्क के लिए एफडीआई सीमा 100% होगी।