रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती ने मंगलवार को कहा कि बैंक नीतिगत दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचा रहे। उन्होंने बैंकों को सुधार उपाय करने और परिचालन लागत में कमी लाने को कहा।
एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से बातचीत के दौरान चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘ब्याज दर के मौजूदा ढांचे के भीतर अगर बैंक अपनी कार्यकुशलता बढ़ाते हैं तो इससे ब्याज दरें नीचे आएंगी। हम इसे बैंकों की परिचालन कुशलता कहते हैं जो होना चाहिए।’’ नीतिगत दरों में कमी के बारे में उन्होंने कहा कि जब तक बैंक लागत में कमी नहीं लाते और लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंचाते, इसका कोई फायदा नहीं होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप अपनी लागत नहीं घटाते तो यह (ब्याज दरों में कमी) नहीं होगा। अगर लागत नीचे नहीं आती जो लोगों को फायदा नहीं होगा। जब तक स्थिति में सुधार नहीं आता तब तक आप नीतिगत सुधारों का लाभ उठाने की स्थिति में नहीं होंगे।’’
चक्रवर्ती ने कहा कि सुधार व्यक्तिगत स्तर पर नहीं होते हैं। उन्होंने कहा ‘‘एक समय था जब बैंकों का नकद आरक्षित अनुपात :सीआरआर: 25 प्रतिशत पर था, सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 40 प्रतिशत पर था। आज एसएलआर घटकर 23 प्रतिशत और सीआरआर 4.5 प्रतिशत पर आ चुका है। लोग कह रहे हैं कि इसे भी समाप्त कर दिया जाना चाहिये। लेकिन सवाल यह है कि क्या कमी का लाभ लोगों तक पहुंचा है? उन्होंने खेद व्यक्त करते हुये कहा कि बैंकों की कर्ज पर ब्याज दरें सीआरआर और एसएलआर में कटौती के साथ नीचे नहीं आई हैं। बल्कि ये बढ़ गई।
चक्रवर्ती ने कहा ‘‘आज रेपो दर आठ प्रतिशत, सीआरआर 4.5 प्रतिशत, मुद्रास्फीति नौ प्रतिशत, एसएलआर 23 प्रतिशत पर है जबकि बैंकों की प्रधान ब्याज दर सितंबर 2008 के मुकाबले एक प्रतिशत उपर हैं।’’