सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया, क्योंकि वह समूह की दो कंपनियों द्वारा निवेशकों को 20 हजार करोड़ रुपये लौटाने के न्यायिक निर्देश पर अमल नहीं करने से संबंधित मामले में वह कोर्ट में पेश नहीं हुए।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की खंडपीठ ने कहा, हमने मंगलवार को ही राय को व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट देने से इनकार कर दिया था। वह आज भी पेश नहीं हुए हैं और हम गैर-जमानती वारंट जारी कर रहे हैं, जिसकी तामील 4 मार्च तक होनी है। इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही राय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने न्यायाधीशों को सूचित किया कि 95 वर्षीय मां के खराब स्वास्थ्य की वजह से वह कोर्ट में पेश होने में असमर्थ हैं। इस पर न्यायाधीशों ने कहा, इस कोर्ट के हाथ बहुत लंबे हैं। मंगलवार को ही हमने व्यक्तिगत पेशी से छूट देने का आपका अनुरोध ठुकराया था। हम गैर-जमानती वारंट जारी करेंगे। यह देश की सर्वोच्च अदालत है। न्यायाधीशों ने कहा, कल हमने आपसे कहा था कि हम व्यक्तिगत पेशी से आपको छूट देने के पक्ष में नहीं हैं। यदि अन्य निदेशक पेश हो सकते हैं तो फिर आप क्यों नहीं? कोर्ट ने निवेशकों को 20 हजार करोड़ रुपये लौटाने के आदेश पर अमल नहीं किए जाने के कारण 20 फरवरी को सहारा समूह को आड़े हाथ लेते हुए सुब्रत राय के साथ ही सहारा इंडिया रियल इस्टेट कार्प लि और सहारा इंडिया हाउसिंग इन्वेस्टमेन्ट कार्प लि के निदेशकों रवि शंकर दुबे, अशोक राय चौधरी और वंदना भार्गव को समन जारी किए थे।
जेठमलानी ने राय के पेश नहीं होने के बारे में सफाई देने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि वह अपनी बीमार मां के बिस्तर के पास उनका हाथ थामे बैठे हैं। उन्होंने राय की मां के खराब स्वास्थ्य के बारे में मेडिकल सर्टिफिकेट भी पेश किया और कहा कि इससे पहले सभी अवसरों पर सहारा समूह के मुखिया ने शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल किया है।
लेकिन न्यायाधीशों ने कहा, पिछले दो साल से हम देख रहे हैं कि इस मामले में क्या हो रहा है। शीर्ष अदालत ने कल ही सुब्रत राय को व्यक्तिगत पेशी से छूट देने से इनकार करते हुए उन्हें आज कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि कानून का शासन बनाए रखना होगा और राय को 20 फरवरी के आदेश पर अमल करना होगा।
कोर्ट ने इससे पहले सुनवाई के दौरान कहा था कि सेबी सहारा समूह की उन संपत्तियों को बेच सकती है, जिनकी बिक्री विलेख निवेशकों का 20 हजार करोड़ रुपया वसूलने के लिए उसे सौंपे जा चुके हैं।
सेबी ने कोर्ट से कहा था कि कंपनी खुद ही इन संपत्तियों को बेचकर धन जमा करा सकती है। इस पर कोर्ट ने कहा था कि सेबी इन संपत्तियों की नीलामी करके धन प्राप्त कर सकती है। शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त, 2012 को अपने फैसले में सेबी को सहारा की संपत्ति कुर्क करके धन वसूलने का निर्देश दिया था।