अमेरिका की एक संघीय अदालत ने एप्पल इंक से कहा कि वह विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय को एक पेटेंट उल्लंघन मामले में 23.4 करोड़ डॉलर का भुगतान करे।
यह मामला विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा विकसित माइक्रोप्रोसेसर प्रौद्योगिकी से जुड़ा है, जिसको विकसित करने में भारतीय मूल के दो अमेरिकी भी शामिल थे। अदालत ने पाया कि एप्पल ने विस्कोंसिन एल्यूम्नी रिसर्च फाउंडेशन (वार्फ) के पेटेंट का उल्लंघन किया है और इसे अपना आविष्कार बताया। इस प्रौद्योगिकी से कंप्यूटर की क्षमता और गति बढ़ जाती है।
दो हफ्ते तक चली सुनवाई के आखिर में अदालत ने पाया कि एप्पल की ए7, ए8 और ए8एक्स प्रणाली के चिप के डिजाइन से वार्फ के पेटेंट का उल्लंघन होता है और इसके लिए 23.4 करोड़ डालर के मुआवजे के भुगतान का आदेश दिया।
विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गुरिंदर सोही ने कहा 'हमारा मानना है कि हमारी प्रौद्योगिकी समय से बहुत आगे की थी।' सोही ने अपने तत्कालीन छात्रों के साथ मिलकर इस प्रौद्योगिकी का विकास किया था।