संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) में अमेरिका प्रायोजित प्रस्ताव में भारत द्वारा श्रीलंका के खिलाफ मतदान करने के बाद इस पड़ोसी देश ने प्रतिक्रिया स्वरूप त्रिनकोमाली स्थित इंडियन ऑयल कारपोरेशन (आईओसी) की स्थानीय इकाई के रणनीतिक तेल डिपो के कुछ हिस्से को अपने अधिकार में लेने की घोषणा की है।
हालांकि, भारत सरकार ने इस तरह की रिपोर्टों को खारिज किया है।
श्रीलंका के स्थानीय मीडिया में प्रकाशित अपुष्ट खबरों में कहा गया है कि सरकार की नजर उत्तर पूर्वी बंदरगाह जिले त्रिनकोमाली के 99 तेल टैंक की भंडारण सुविधा पर है। हालांकि, सूचना मंत्री केहेलिया राम्बुकवेला ने आज घोषणा की कि श्रीलंका की योजना इंडियन ऑयल की स्थानीय इकाई लंका आईओसी के ऐसे टैंकों को वापस लेने की है जिनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
नई दिल्ली में भारत ने इस तरह की रिपोर्टों से इनकार किया है कि श्रीलंका सरकार ने इंडियन ऑयल के रणनीतिक तेल डिपो के कुछ हिस्से को अपने अधिकार में लेने का फैसला किया है। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा है कि भारत सरकार को इस संबंद्ध में आश्वस्त किया गया है कि मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट सही नहीं हैं।
राम्बुकवेला ने कहा कि इंडियन ऑयल कारपोरेशन की स्थानीय इकाई द्वारा इस्तेमाल में नहीं लाए जा रहे तेल टैंकों को वापस लेने का प्रावधान है। स्थानीय आईओसी ने वर्ष 2003 में श्रीलंका सरकार के खुदरा तेल कारोबार का एक-तिहाई खरीद लिया था और नई इकाई को श्रीलंका आईओसी नाम दिया गया।
निजीकरण के तहत श्रीलंका ने दूसरे विश्व युद्ध के समय के 99 तेल भंडारण टैंक परिसर लंका आईओसी को दे दिया था। कंपनी इनमें से सिर्फ 15 का इस्तेमाल कर रही है तथा दो अन्य का नवीकरण कर रही है।
मंत्री ने कहा कि नए पेट्रोलियम मंत्री अनुरा यापा ने जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद सरकारी सिलोन पेट्रोलियम कारपोरेशन के कारोबार विस्तार की पहल की थी। इसके तहत वह सरकारी कंपनी की भंडारण क्षमता का विस्तार करना चाहते हैं।
राम्बुकवेला ने कहा कि यदि वे इन टैंकों का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं, तो सिलोन पेट्रोलियम उन्हें वापस चाहती है, जिससे उनका बेहतर इस्तेमाल किया जा सके।