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अदाणी एनर्जी ने शुरू की सबसे बड़ी इंटर-रीजनल वरोरा-कुर्नूल ट्रांसमिशन लाइन

कंपनी ने बताया है कि वरोरा-कुर्नूल ट्रांसमिशन (WKTL), जो महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 1,756 सर्किट किलोमीटर तक फैली हुई है, को पूरी तरह से चालू कर दिया गया है. यह प्रोजेक्ट पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र के बीच 4500MW की निर्बाध बिजली सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए नेशनल ग्रिड को मज़बूत करेगा.
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NDTV Profit हिंदी12:35 PM IST, 19 Oct 2023NDTV Profit हिंदी
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अदाणी एनर्जी सॉल्यूशन्स (Adani Energy Solutions Ltd) ने सबसे बड़ी इंटर-रीजनल 765KV वरोरा-कुर्नूल ट्रांसमिशन लाइन (Warora-Kurnool Transmission line) शुरू कर दी है. कंपनी की ओर से एक्सचेंज फाइलिंग में इसकी जानकारी दी गई है.

कंपनी ने बताया है कि वरोरा-कुर्नूल ट्रांसमिशन (WKTL), जो महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 1,756 सर्किट किलोमीटर तक फैली हुई है, को पूरी तरह से चालू कर दिया गया है. यह प्रोजेक्ट पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र के बीच 4500MW की निर्बाध बिजली सप्लाई को सुनिश्चित करने के लिए नेशनल ग्रिड को मज़बूत करेगा.

वरोरा-कुर्नूल ट्रांसमिशन लाइन क्या है...?

वरोरा-कुर्नूल ट्रांसमिशन लिमिटेड (WKTL) को वारंगल में 765/400kV सब-स्टेशन के निर्माण के साथ दक्षिणी क्षेत्र, यानी वरोरा-वारंगल और चिलकलुरिपेटा-हैदराबाद-कुरनूल में इम्पोर्ट के लिए एक अतिरिक्त इंटर-रीजनल ऑल्टरनेट लिंक लगाने के लिए अप्रैल, 2015 में शामिल किया गया था. WKTL किसी सिंगल स्कीम के तहत अब तक दिया गया सबसे बड़ा 765kV D/C (हेक्साकंडक्टर) TBCB (tariff-based competitive bidding) प्रोजेक्ट है.

इसमें महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होकर गुज़रने वाली 1756ckm ट्रांसमिशन लाइन बिछाना शामिल था. साथ ही निर्माण, स्वामित्व, संचालन और रखरखाव के आधार पर वारंगल में 765KV सब-स्टेशन का निर्माण भी इसमें शामिल है. इसे 2016 की शुरुआत में एस्सेल इन्फ्राप्रोजेक्ट्स को टैरिफ-बेस्ड कॉम्पेटेटिव बिड (TBCB) पर दिया गया था, और बाद में लेंडर्स की ओर से किए गए स्ट्रेस्ड एसेट्स की रीस्ट्रक्चरिंग के बाद मार्च, 2021 में AESL ने इसका अधिग्रहण कर लिया.

प्रोजेक्ट की खासियत...

यह प्रोजेक्ट कितना विशाल है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टॉवरों को खड़ा करने में कुल 1,03,000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया. यह 10 एफिल टावर को बनाने के लिए ज़रूरी मैटेरियल के बराबर है. ट्रांसमिशन लाइनों के लिए कुल 30,154 किलोमीटर कंडक्टर का इस्तेमाल किया गया, जो चांद के तीन चक्कर लगाने के बराबर है. एक और बात, जो इसे बेहद खास बनाती है, वह यह है कि कंडक्टर मैटेरियल को स्पेशलाइज़्ड अलॉय से बनाया गया है.

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