बिहार दिवस के आयोजन में तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव ने भाग नहीं लिया (फाइल फोटो).
- 22 मार्च को बिहार दिवस पर हुआ सरकारी आयोजन
- तेजस्वी कार्यक्रम में नहीं आए, ट्विटर पर सक्रिय रहे
- तेजस्वी का नाम कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र पर नहीं था
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पटना:
बिहार सरकार हर साल 22 मार्च को बिहार दिवस धूमधाम से मनाती है. यहां तक कि पूरे राज्य में सरकारी अवकाश होता है. सरकार की तरफ से हर वर्ष कुछ न कुछ महत्वपूर्ण घोषणा की जाती है. बुधवार को भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सात निश्चय में से एक निश्चय के तहत हर कॉलेज, विश्वविद्यालय में मुफ्त वाई फाई को विधिवत रूप से चालू किया.
बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल के मंत्री तो पटना के गांधी मैदान में मौजूद थे लेकिन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनके भाई तेजप्रताप यादव इस समारोह से नदारद थे. हालांकि तेजस्वी के नजदीकी लोगों का कहना है कि उनका स्वस्थ्य ठीक नहीं होने के कारण वे इस समारोह में शामिल नहीं हुए. हालांकि जब यह कार्यक्रम चल रहा था उस समय ट्विटर पर तेजस्वी काफी सक्रिय थे.
लालू यादव के नजदीकी लोगों का कहना है कि भले कोई भी आधार दिया जाए सब जानते हैं कि सरकारी कार्यक्रमों में तरजीह न दिए जाने के कारण दोनों भाई अनुपस्थित थे. हालांकि राजनीतिक जानकर मानते हैं कि यह लालू यादव के दबाव की राजनीति के तहत किया गया है. लेकिन ऐसे घटनाक्रम से इस बात की पुष्टि होती है कि बिहार के महागठबंधन में सब कुछ सामान्य नहीं है.
वहीं राजद के विधयक भी मान रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम के बाद लालू यादव के इशारे पर दोनों भाई के मौजूद न रहने का खामियाजा आखिरकार पार्टी को ही उठाना पड़ेगा. नाम न छपने की शर्त पर एक विधायक ने कहा कि लालू भी जानते हैं कि नीतीश किसी दबाव में काम नहीं करने वाले और अगर लालू यादव को किसी मुद्दे पर कोई शिकायत हो तो सीधे संवाद कायम करना चाहिए, क्योंकि ऐसे उदाहरण पेश कर जनता में पार्टी और सरकार की किरकिरी ही होती है.
जनता दल यूनाइटेड के नेता कहते हैं कि उन्हें तेजस्वी और तेजप्रताप के मौजूद न होने का निश्चित रूप से अफसोस है लेकिन अगर लालू यादव अपने बेटों को निर्देशित करना बंद कर दें तो शायद बेटे खासकर तेजस्वी यादव अपनी अलग राजनीतिक पहचान जरूर बना सकते हैं. इससे पहले भी स्वस्थ्य विभाग के कार्यक्रमों में तेजप्रताप यादव ने नीतीश कुमार के मौजूद रहने के बावजूद खुद को अलग रखा था. लेकिन तेजप्रताप यादव के प्रति लोगों की धारणा है कि वे लालू यादव की बातों को भी अनसुना कर देते हैं. लेकिन तेजस्वी अगर किसी कार्यक्रम से अपने को अलग रखते हैं तो वे यह कदम लालू यादव से मशविरा के बाद ही उठाते हैं.
बिहार दिवस कार्यक्रम में तेजस्वी और तेजप्रताप की गैरमौजूदगी को लेकर शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी का कहना है तेजस्वी यादव ने कार्यक्रम में शिरकत करने में असहमति जताई थी. हालांकि उन्होंने माना कि तेजस्वी यादव का नाम कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र पर नहीं था, लेकिन यह परिपाटी एनडीए के कार्यकाल से ही चली आ रही है. गौरतलब है कि पिछले साल भी दोनों भाइयों ने बिहार दिवस के कार्यक्रम से खुद को अलग रखा था.
बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल के मंत्री तो पटना के गांधी मैदान में मौजूद थे लेकिन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनके भाई तेजप्रताप यादव इस समारोह से नदारद थे. हालांकि तेजस्वी के नजदीकी लोगों का कहना है कि उनका स्वस्थ्य ठीक नहीं होने के कारण वे इस समारोह में शामिल नहीं हुए. हालांकि जब यह कार्यक्रम चल रहा था उस समय ट्विटर पर तेजस्वी काफी सक्रिय थे.
धन्यवाद आदरणीय @MamataOfficialजी.1912 तक बंगाल,ओडिशा,बिहार,झारखंड एक था अब हमे राजनीतिक रूप से मिलकर आज के दक्षिणपंथी अंग्रेजो से लड़ना होगा https://t.co/CMU8UyVRkC
— Tejaswi yadav (@YadavTejaswi) March 22, 2017
लालू यादव के नजदीकी लोगों का कहना है कि भले कोई भी आधार दिया जाए सब जानते हैं कि सरकारी कार्यक्रमों में तरजीह न दिए जाने के कारण दोनों भाई अनुपस्थित थे. हालांकि राजनीतिक जानकर मानते हैं कि यह लालू यादव के दबाव की राजनीति के तहत किया गया है. लेकिन ऐसे घटनाक्रम से इस बात की पुष्टि होती है कि बिहार के महागठबंधन में सब कुछ सामान्य नहीं है.
वहीं राजद के विधयक भी मान रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम के बाद लालू यादव के इशारे पर दोनों भाई के मौजूद न रहने का खामियाजा आखिरकार पार्टी को ही उठाना पड़ेगा. नाम न छपने की शर्त पर एक विधायक ने कहा कि लालू भी जानते हैं कि नीतीश किसी दबाव में काम नहीं करने वाले और अगर लालू यादव को किसी मुद्दे पर कोई शिकायत हो तो सीधे संवाद कायम करना चाहिए, क्योंकि ऐसे उदाहरण पेश कर जनता में पार्टी और सरकार की किरकिरी ही होती है.
जनता दल यूनाइटेड के नेता कहते हैं कि उन्हें तेजस्वी और तेजप्रताप के मौजूद न होने का निश्चित रूप से अफसोस है लेकिन अगर लालू यादव अपने बेटों को निर्देशित करना बंद कर दें तो शायद बेटे खासकर तेजस्वी यादव अपनी अलग राजनीतिक पहचान जरूर बना सकते हैं. इससे पहले भी स्वस्थ्य विभाग के कार्यक्रमों में तेजप्रताप यादव ने नीतीश कुमार के मौजूद रहने के बावजूद खुद को अलग रखा था. लेकिन तेजप्रताप यादव के प्रति लोगों की धारणा है कि वे लालू यादव की बातों को भी अनसुना कर देते हैं. लेकिन तेजस्वी अगर किसी कार्यक्रम से अपने को अलग रखते हैं तो वे यह कदम लालू यादव से मशविरा के बाद ही उठाते हैं.
बिहार दिवस कार्यक्रम में तेजस्वी और तेजप्रताप की गैरमौजूदगी को लेकर शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी का कहना है तेजस्वी यादव ने कार्यक्रम में शिरकत करने में असहमति जताई थी. हालांकि उन्होंने माना कि तेजस्वी यादव का नाम कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र पर नहीं था, लेकिन यह परिपाटी एनडीए के कार्यकाल से ही चली आ रही है. गौरतलब है कि पिछले साल भी दोनों भाइयों ने बिहार दिवस के कार्यक्रम से खुद को अलग रखा था.
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