- बिहार विधानसभा चुनाव के दोनों चरण 6 और 11 नवंबर को संपन्न हुए, जिसमें कुल 122 सीटों पर मतदान हुआ.
- दूसरे चरण में 68.79 प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ जो पहले चरण से चार प्रतिशत अधिक था.
- महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा मतदान किया, महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 71 फीसदी के करीब रहा.
बिहार विधानसभा के दोनों चरण का चुनाव मंगलवार को समाप्त हो गया. पहले चरण का चुनाव 6 नवंबर और दूसरे चरण का चुनाव 11 नवंबर को समाप्त हुआ. पहले चरण में 64.46%बंपर वोटिंग करके बिहार ने इतिहास रच दिया. वहीं चुनाव आयोग के अनुसार दूसरे चरण में 68.79% वोटिंग दर्ज की गई है जो पहले चरण से 4.33% ज्यादा है. 122 सीटों पर कुल 1302 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला मंगलवार शाम 5 बजे तक EVM में कैद हो गया. हालांकि इस रिकार्ड तोड़ वोटिंग और इतिहास के तीन सबक हैं.
दूसरे चरण के मतदान में 45 हजार 399 केंद्रों पर 3 करोड़ 70 लाख 13 हजार 556 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. इनमें 1 करोड़ 95 लाख 44 हजार 41 पुरुष हैं, जबकि महिलाओं की संख्या 1 करोड़ 74 लाख 68 हजार 572 है. थर्ड जेंडर के कुल 943 वोटर हैं. दूसरे चरण में मतदाताओं की संख्या के लिहाज से सबसे बड़ी सीट हिसुआ है.

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2020 के मुकाबले इस बार 9.6% ज्यादा मतदान
2020 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर 58.8 फीसदी मतदान रहा था. इस लिहाज से करीब 10 फीसदी ज्यादा वोटिंग हुई है. इन 122 सीटों पर 2015 के चुनाव में 58.3 फीसदी तो 2010 में 53.8 फीसदी वोटिंग रही थी. वहीं, बिहार की कुल 243 सीटों पर 2020 के विधानसभा चुनाव में 57.29 फीसदी मतदान रहा था, जबकि 2025 में कुल 66.91 फीसदी वोटिंग रही. आजादी के बाद पहली बार इतना मतदान बिहार में हुआ है. 2020 के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार 9.6 प्रतिशत मतदान ज्यादा हुआ है. यही नहीं, पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा वोटिंग की है.
2025 विधानसभा चुनाव में कई ऐसे विधानसभा क्षेत्र रहे जहां बंपर वोटिंग होने के साथ कई ऐसे विधानसभा भी रहे, जहां वोटिंग का दर कमजोर रही. अगर हम बात करें सबसे ज्यादा वोटिंग वाले क्षेत्र की तो प्राणपुर (कटिहार) विधानसभा ने 81.02% का रिकॉर्ड वोटिंग दर्ज की है और सबसे कम वोटिंग कुम्हार(पटना) में हुई, जहां सिर्फ 39.57% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.

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दूसरे चरण में सबसे ज्यादा वोटिंग वाले 10 विधानसभा क्षेत्र
| विधानसभा क्षेत्र | मतदान प्रतिशत |
| प्रणापुर(कटिहार) | 81.02% |
| ठाकुरगंज(किशनगंज) | 80.51% |
| कड़वा(कटिहार) | 79.95% |
| किशनगंज(किशनगंज) | 79.62% |
| कोचाधामन(किशनगंज) | 79.15% |
| बाराटी(कटिहार) | 78.50% |
| बलरामपुर(कटिहार) | 78.10% |
| बहादुरगंज(किशनगंज) | 78.05% |
| कस्बा(पूर्णिया) | 77.80% |
| रूपौली(पूर्णिया) | 77.58% |
दूसरे चरण में सबसे कम वोटिंग वाले 10 विधानसभा क्षेत्र
| विधानसभा क्षेत्र | मतदान प्रतिशत |
| कुम्हार (पटना) | 39.57% |
| दीघा(पटना) | 41.50% |
| बिहारशरीफ(नालंदा) | 55.09% |
| शाहपुर(भोजपुर) | 57.11% |
| दरौली(सिवान) | 57.00% |
| जीरदेई (सिवान) | 57.17% |
| एकमा(सारण) | 58.35% |
| दानापुर(पटना) | 58.52% |
| छपरा(सारण) | 58.61% |
| दारौंदा(सिवान) | 58.90% |

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पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने वोट किया
चनाव आयोग ने बताया कि दूसरे चरण में हुई वोटिंग में भी महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया. दूसरे चरण में 1.74 करोड़ महिला वोटरों में से करीब 71 फीसदी महिलाओं ने वोट डाले. वहीं, 1.95 करोड़ से अधिक पुरुष वोटरों में से 62 फीसदी से अधिक पुरुषों ने वोट डाले. ऐसे ही पहले चरण में भी महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया है. बिहार की 243 सीटों पर कुल मतदान 66.9 फीसदी रहा, जिसमें 62.8 फीसदी पुरुष तो 71.6 फीसदी महिलाओं ने वोटिंग की है. इस तरह पुरुषों से 8.8 फीसदी ज्यादा महिलाओं ने वोटिंग की है. इस तरह महिलाओं की वोटिंग बढ़ने का भी सियासी आकलन किया जा रहा है, जिससे एनडीए को लाभ मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है.
बिहार का वोटिंग पैटर्न के सियासी मायने
- आजादी के बाद से 1951 से 2025 तक बिहार के चुनावों के वोटिंग पैटर्न तो साफ दिखता है कि जहां-जहां मतदान में 5% से अधिक बढ़ोतरी हुई, वहां चुनावी नतीजे प्रभावित हुए. बिहार में तीन बार ऐसा हुआ कि बढ़ी हुई वोटिंग ने सत्ता बदल दी. सबसे पहले 1967 के चुनाव में वोटिंग बढ़ी और सरकार बदली. 1962 में वोटिंग 44.5% थी, जबकि 1967 में यह 51.5% तक पहुंची यानी करीब 7% की बढ़ोतरी हुई और कांग्रेस की सरकार गिर गई. उस साल गैर-कांग्रेसी दलों ने मिलकर सरकार बनाई थी.
- फिर 1980 के चुनाव में मतदान 57.3% रहा, जबकि 1977 में यह 50.5% था. लगभग 6.8% की बढ़ोतरी ने सत्ता परिवर्तन का रास्ता खोला.
- तीसरी बार 1990 में स्थिति दोहराई. 1985 में वोटिंग 56.3% थी, जबकि 1990 में यह 62% तक बढ़ गई. करीब 5.8% की वृद्धि के साथ कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई और जनता दल ने सरकार बनाई.
अब चुनाव खत्म होने के बाद उम्मीदवारों के साथ-साथ जनता को भी परिणाम का इंतजार है. इंतजार है कि वोटों में बढ़ोतरी के बाद क्या NDA फिर से अपनी रोटी सेकेगी या महागठबंधन रोटी को पलट देगी और अपनी रोटी सेकेगी?
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