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मनोरंजन भारती

पिछले ढाई दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय मनोरंजन भारती अपनी राजनीतिक पैठ और अपने राजनैतिक विश्लेषणों के लिए जाने जाते हैं। वे एनडीटीवी के सबसे भरोसेमंद और अनुभवी चेहरों में हैं जिन्होंने कई लोकसभा और विधानसभा चुनाव कवर किए हैं, देश के तमाम बड़े नेताओं के इंटरव्यू लिए हैं और अलग-अलग अवसरों पर कई महत्वपूर्ण राजनीतिक ख़बरें ब्रेक की हैं।

  • राहुल गांधी ने एक तरह से ऐलान कर दिया है कि 2019 में वे प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. हालांकि उनके इस बयान का बीजेपी नेता काफी मखौल बना रहे हैं. मगर सबसे बडा सवाल है कि क्या यह संभव है और यदि यह संभव करना है तो कांग्रेस को अकेले 100 से अधिक सीटें जीतनी होंगी.
  • सबसे बड़ा दांव खेला है मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने. उन्होंने लिंगायत को एक अलग धर्म का दर्जा देते हुए उसे अल्पसंख्यकों में शामिल करने की घोषणा कर दी. कई लोग इसे बड़ा राजनैतिक जुआ बता रहे हैं.
  • उत्तर प्रदेश के कैराना में होने वाला उपचुनाव यह तय करेगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव की क्‍या दिशा होगी. यह तय हुआ है कि कैराना का उपचुनाव राष्ट्रीय लोक दल लड़ेगा यानी जयंत चौधरी वहां पर अपना उम्मीदवार उतारेंगे. अभी तक सपा और बीएसपी के ही गठबंधन की बात हो रही थी मगर अब इसमें राष्ट्रीय लोकदल भी जुड़ गया है.
  • प्रधानमंत्री पहले यहां 15 रैलियां करने वाले थे अब वे 21 रैलियां करेंगे. यानि बीजेपी ने सबकुछ दांव पर लगा दिया है यहां तक की प्रधानमंत्री को भी. मगर सबसे बडा सवाल उठता है कि आखिर कर्नाटक बीजेपी के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है.
  • संसद के केन्द्रीय कक्ष यानी सेंट्रल हॉल में कुछ पत्रकारों और कुछ नेताओं के बीच इस बात पर बहस छिड़ी हुई थी कि मौजूदा हालात में राहुल गांधी का राजनैतिक ग्राफ ऊपर जा रहा है या फिर प्रधानमंत्री का ग्राफ नीचे. कुछ पत्रकार इस थ्योरी को सही साबित करने में लगे थे मगर बीजेपी नेताओं को यह नागवार लग रहा था.
  • मौजूदा साल में एनडीए में कुछ उठापटक के दौर आपको देखने को मिल सकते हैं. जाहिर है लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं एनडीए के सहयोगी दलों में बैचेनी बढ़ती जा रही है. बगावत का बिगुल सबसे पहले शिवसेना ने बजाया है जिसने साफ कह दिया कि अगला चुनाव वो अपने दम पर लड़ेगी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और कह रहे हैं कि शिव सेना हर दो महीने पर इस तरह की धमकी देती रहती है. 
  • पद्मावत का विरोध जारी है, सरकार मूक दर्शक बनी हुई है. खासकर बीजेपी शासित राज्य तो हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. आखिरकार अपने आदमियों पर कार्रवाई कैसे करें, कल को वोट के लिए उनकी जरूरत तो पड़ेगी ही. राजस्थान में तो लोग रैलियां भी निकाल रहे हैं और पुलिस के सामने ही भड़काऊ बयानबाजी भी कर रहे हैं..
  • पद्मावत फिल्म का विरोध जारी है. करणी सेना के लोगों ने अहमदाबाद में एक मॉल के बाहर करीब 50 मोटर साईकिलों को जला डाला. इसी तरह अब सबकी निगाहें गुड़गांव और नोएडा पर है, जहां बडी संख्या में और बड़े- बड़े मॉल हैं और इन सबके बीच सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि करणी सेना के किसी भी प्रतिनिधि ने इस फिल्म को नहीं देखा है. यह केवल अपने देश में हो सकता है कि बिना फिल्म देखे, बिना किताब पढ़े लोग उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं, आंदोलन करते हैं, गाडियां जलाते हैं, बंद का आह्वाहन करते हैं. जिन्हें पद्मावत देखने का मौका मिला है, उनके अनुसार इस फिल्म में राजपूताना ठाठ को दिखाया गया है. खासकर राजपूतों की मर्यादा और उनके जुबान के पक्के होने की आदत को.
  • महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी के बीच एक बार फिर से तनातनी देखने को मिल रही है. शिवसेना ने कहा है कि वो अगला चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर नहीं लड़ेगी. शिवसेना की इस धमकी पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस का कहना है कि वो हर दो महीने पर शिवसेना के इस तरह की धमकी के आदी हो चुके हैं. यदि महाराष्ट्र विधानसभा का गणित देखें तो बीजेपी सबसे बडी पार्टी है और उसके पास 122 सीटें हैं और शिवसेना के पास 63. कांग्रेस के पास 42 और एनसीपी के पास 41 सीटें हैं. ऐसे हालात में जब शिवसेना को लगता है कि फडणवीस सरकार उनके ही बैसाखी पर टिकी है, तो वो बार-बार अपनी मौजूदगी का अहसास कराती रहती है. यदि बीजेपी के सहयोगियों पर नजर डालें तो आपको पता चलेगा कि उसके दो स्वाभाविक सहयोगी हैं, जो हमेशा से उनके साथ रहे हैं.
  • दिल्ली में आम आदमी पार्टी  द्वारा नियुक्त 20 संसदीय सचिवों की नियुक्तियों के रद्द होने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं. कई जानकारों का मानना है कि इस निर्णय से बचा जा सकता था. संसदीय सचिवों की नियुक्ति का मामला कोई नया नहीं है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने 'पद्मावत' पर चार राज्यों में लगी रोक को हटा दिया है और बाकी राज्यों से भी कहा है कि वे फिल्म पर बैन लगाने की कोशिश न करें. यह राहत महज संजय लीला भंसाली के लिए नहीं है बल्कि उन सभी लोगों के लिए भी है जिनको डर था कि कहीं उसकी बात किसी को पसंद नहीं आई तो उन पर भी कहीं बैन ही न लग जाए. यह भंसाली की नहीं अभिव्यक्ति की जीत है.
  • बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनय विनय सहस्त्रबुद्धे एक सेमिनार का आयोजन करने जा रहे हैं जिसमें इस बात पर चर्चा होनी है कि क्या देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ कराए जा सकते हैं. इसमें सभी पार्टियों के अलावा कई बुद्धिजीवियों को बुलाया गया है.
  • यह कहानी है टेस्ट क्रिकेट के नंबर वन टीम की, जिसकी हालत पर सुनील गावस्कर साहब को धोनी की याद आ रही है... 'काश धोनी ने संन्यास नहीं लिया होता.' हर क्रिकेट प्रेमी को कुछ बुनियादी बातें टीम इंडिया को लेकर समझ में नहीं आ रही है. इस टीम की हालत वही है, जैसे कि हर कोई अपने घर में शेर होता है. आप घरेलू या महाद्वीप की पिच पर सारी सीरीज जीतते हैं, मगर बाहर की पिच पर शेर ढेर हो जाता है.
  • गुजरात में राहुल गांधी एक नए अंदाज़ में हैं. इस बार राहुल गांधी का फोकस खास तौर पर पिछड़ों, दलितों आदिवासी और मुस्लिमों पर है. शायद राहुल गांधी को पाटीदारों के वोटों पर उतना भरोसा नहीं है. शायद उन्हें लगता है कि पाटीदार परंपरागत तौर पर बीजेपी को वोट देते आए हैं.
  • अभी तक बीजेपी नेताओं को लगता था कि प्रधानमंत्री और अमित शाह की जोड़ी के सामने कोई नहीं टिक सकता. मगर तभी राहुल गांधी की एंट्री होती है. गुजरात में वो भी द्वारका मंदिर से पूजा करने के बाद. 
  • आज जब सुबह बेटी को स्कूल छोड़ने के लिए घर के नीचे उतरा तो बाहर का नज़ारा देख कर दंग रह गया. ये क्या है. ठंड तो इतनी नहीं है पर इतना कोहरा वो भी इतनी जल्दी. मगर थोड़ा ही आगे बढ़े तो बेटी ने कहा कि पापा आंखें जल रही हैं. उसका कहना सही था फिर भी उसे अनमने ढंग से स्कूल भेज दिया. मैंने वहीं सड़क पर ही मोबाइल से कुछ वीडियो बनाया और ऑफिस को भेज दिया.
  • अखिलेश सपा की राजनीति के साथ ही यूपी की राजनीति भी बदल सकते हैं... यही नहीं, कांग्रेस के साथ गठबंधन कर अखिलेश ने एक ऐसी राजनैतिक पहल की है, जिसके बाद बीजेपी को अपनी रणनीति बदलनी ही होगी...
  • उत्तर प्रदेश की सियासत में अभी ब्राह्मण बतौर जाति के तौर पर टॉप पर चल रही है. कारण साफ है चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों की ब्राह्मणों के 14 फीसदी वोटों पर नजर है, तो 27 सालों से सत्ता से बाहर इस जाति को किसी राजनैतिक दल पर. उत्तर प्रदेश के अंतिम ब्राह्मण मुख्यमंत्री एनडी तिवारी थे जो बाद में उत्तराखंड के भी मुख्यमंत्री बने.
  • संसद के अंदर कांग्रेस के सांसदों ने जिस तरह का तेवर अपनाया है, उससे यह साफ हो गया कि सरकार और विपक्ष के बीच की जो दूरी प्रधानमंत्री पाटना चाहते हैं, वह संभव नहीं।
  • केजरीवाल अपने पुराने साथी प्रशांत भूषण के साथ बहस को तैयार नहीं हो रहे हैं।केजरीवाल खुद जाने के बजाए आशीष खेतान को भेज रहे हैं। केजरीवाल जो आंदोलन के वक्त सबको बहस के लिए ललकारा करते थे, अब क्यों भाग रहे हैं।
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