मैं अनिता शर्मा, अक्सर दुनियां और घटनाक्रमों को अपनी बंद आंखों से महसूस करती हूं और फिर भावनाओं को कागज पर पिरो देती हूं. सामाजिक मुद्दों पर तीखा व पैनापन मेरे लेखन की पहचान रही है. साहित्य रसिक हूं.
सच कहूं, मुझे सलमान खान के बयान से तकलीफ हुई, लेकिन ठीक इस बयान के बाद जो आवाजें आईं, वे इस बयान से कहीं ज्यादा खराब लगीं। उन आवाजों ने मुझे नि:शब्द और स्तब्ध कर दिया।
उड़ता पंजाब' को सामान्य दर्शक की नजर से देखें, तो लगता है जैसे एक ही मुद्दे पर बनी तीन अलग-अलग डॉक्यूमेंटी फिल्मों का अंत एक साथ कर दिया गया हो। मेरे नजरिए से फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं, जिसे काटने की जरूरत है।
...और अगर वाकई इस तरह सम्मान देना सार्थक होता है, तो क्यों न एक नया नाम देकर पुरुषों को 'मददगार' से हटकर ज़िम्मेदार बनाया जाए, एक नई सोच, एक नई धारा और एक नई दिशा का निर्माण किया जाए और उन्हें भी मौका दिया जाए सम्मानित होने का...
इस बच्चे के चले जाने में मेरा कोई दोष नहीं है, मैंने उसे नहीं मारा तो फिर इस बात को छुपाया क्यों जाए ? क्यों मुझसे या किसी दूसरी औरत से ये कहा जाए- 'ये क्या कर दिया तुमने'
जानते हैं जब भी किसी को बताती हूं कि मैं हरियाणा से हूं, तो लोग बिना मेरी अनुमति के ही समझ लेते हैं कि मैं जाट हूं... हालांकि मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता फिर भी लोगों को टोक देती हूं ‘मैं जाट नहीं हूं’... एक बार किसी ने मुझे कहा था, ‘’अच्छा मैंने तो बस वहां के जाटों के बारे में सुना है...’’
आज रिहाई का दिन है, आजादी का दिन है और हां आज ‘जश्न’ का दिन है... पर ये चारों तरफ मातम क्यों है... निर्भया तुम हार गई, तुम हार गईं क्योंकि तुम्हें अपना शिकार बनाने वाला नाबालिग था।