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अखिलेश शर्मा

पत्रकारिता में पिछले 24 साल से सक्रिय अखिलेश शर्मा एनडीटीवी इंडिया के राजनीतिक संपादक और प्राइम टाइम एंकर हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा, संसदीय लोकतंत्र, राजनीतिक अर्थव्यवस्था तथा दलीय राजनीति से जुड़े विषयों में उनकी गहन दिलचस्पी है। पिछले डेढ़ दशक से बीजेपी से जुड़ी ख़बरें कवर कर रहे हैं।

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकारी नौकरियां कर रहे अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के कर्मचारियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण मिलेगा. इसका फैसला केंद्र और राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया है. इसके लिए सरकारों को काडर के हिसाब से ये आंकड़े जमा करने होंगे कि इस समुदाय को नौकरी में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिला है या नहीं. महत्वपूर्ण चुनावों से पहले आया यह फैसला बीजेपी के लिए बड़ी राहत है.
  • सरकार ने राफेल सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति जेपीसी के गठन की मांग ठुकरा दी है. सरकार का कहना है कि सीवीसी और सीएजी पहले से ही इस मामले को देख रहे हैं. इस बीच राफेल सौदे पर अब सियासी लड़ाई तेज़ हो गई है.
  • आतंकवाद पर पाकिस्तान के चेहरे को बेनकाब करते हुए भारत ने प्रस्तावित विदेश मंत्री स्तर की मुलाकात रद्द कर दी है. लेकिन इस फैसले के बाद पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार की ढुलमुल नीति सबके सामने आ गई है, जिसमें कभी हां होती है तो कभी ना. भारत ने कहा कि आतंकवाद पर पाकिस्तान के दोहरे रवैये को पूरी दुनिया ने देख लिया है. पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान बचकाना है. पाकिस्तान अमन के हक में है और यह पूरी दुनिया देख रही है.
  • बीएसपी प्रमुख मायावती को उनके गढ़ में ही घेरा जा रहा है. एक तरफ मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में कांग्रेस के साथ समझौते को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है तो अब उत्तर प्रदेश में नए समीकरण बनते दिख रहे हैं. पिछले साल सहारनपुर में हुई हिंसा के आरोपी और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून एनएसए के तहत जेल में बंद भीम सेना के संस्थापक चंद्रशेखर उर्फ रावण की समय से पहले रिहाई इसी की ओर इशारा कर रही है.
  • हिंदुत्व के बाद अब बीजेपी और कांग्रेस में राष्ट्रवाद को लेकर नई जंग छिड़ गई है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लगातार तथाकथित शहरी नक्सलियों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं तो वहीं कांग्रेस सेना में डेढ़ लाख पदों की कटौती को लेकर बीजेपी के राष्ट्रवाद पर सवाल उठा रही है.
  • क्या बीजेपी को राहुल गांधी के हिंदू दिखने से परेशानी है? यह सवाल इसलिए क्योंकि जब से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंदिरों के दर्शन शुरू किए और अब कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए हैं, बीजेपी उनकी हर छोटी-बड़ी बात पर नुक्ताचीनी कर रही है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में समलैंगिक संबंधों को अपराध ठहराने वाली आईपीसी की धारा 377 को समाप्त कर दिया. इस फैसले का जमकर स्वागत हो रहा है. लेकिन इस पर सियासत भी शुरू हो गई है.
  • एक देश एक चुनाव शायद अभी न हो, लेकिन एक राज्य में समय से पहले चुनाव जरूर हो सकते हैं. यह राज्य है तेलंगाना जहां के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने गुरुवार को अपने राज्य की विधानसभा भंग करने का फैसला किया ताकि समय से पहले चुनाव हो सकें.
  • बीजेपी सवर्ण वर्ग की नाराजगी को दूर करने की कोशिशों में जुट गई है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी नेताओं के साथ एससी/एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद बने हालात पर विस्तार से चर्चा की है. पार्टी आधिकारिक रूप से इस संवेदनशील मुद्दे पर टिप्पणी करने को तैयार नहीं है, लेकिन पार्टी नेता इस मुद्दे को तूल देने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बता रहे हैं. पार्टी ने इस मुद्दे पर उठ रहे सवालों का जवाब देने का मन भी बनाया है. बताया जा रहा है कि इस सप्ताहांत दिल्ली में होने वाली बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है.
  • देश की राजनीति की धारा बदलती हुई दिख रही है. अब तक बीजेपी कांग्रेस पर मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाती आई है. छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बीजेपी दूसरे विपक्षी दलों पर हमला करती आई है. इफ्तार पार्टियां सियासत का बड़ा हिस्सा बन गईं थीं और बीजेपी का आरोप था कि मुसलमानों को खुश करने के लिए इन पार्टियों ने हिंदुओं के हितों को चोट पहुंचाई. बीजेपी खुद को हिंदू हितों के सबसे बड़े रक्षक के तौर पर पेश करने लगी और हिंदू ह्रदय सम्राट के तौर पर नरेंद्र मोदी ने अपने बूते बीजेपी को 282 सीटें दिलवा दीं. अब कांग्रेस भी इसी बदली धारा का हिस्सा बनती दिखना चाह रही है. बात सिर्फ राहुल गांधी के मंदिरों के दौरों तक सीमित नहीं रह गई है. एक तरफ राहुल गांधी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस बीजेपी के हिंदुत्व का एक बड़ा मुद्दा गोरक्षा हथियाने की फिराक में है. मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने एक ट्वीट में कहा प्रदेश की हर पंचायत में गौशाला बनाएंगे. ये घोषणा नहीं वचन है.
  • पेट्रोल डीजल की कीमतें नई ऊंचाई पर और डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर. 8.2 फीसदी की जीडीपी के बीच आम लोगों से जुड़ी अर्थव्यवस्था की ये खबरें सरकार के सामने चुनौती पेश कर रही हैं, लेकिन पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों में लगी आग के बीच सरकार ने जले पर नमक छिड़कते हुए कीमतें घटाने से इनकार कर दिया है. आला सरकारी सूत्रों ने एनडीटीवी से कहा कि मौजूदा समय में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को देखते हुए कीमतें कुछ और समय तक बढ़ी रह सकती हैं, लेकिन सरकार उन्हें कम करने के लिए एक्साइज़ ड्यूटी में अब कोई कटौती नहीं करेगी. 
  • इस साल दिसंबर में होने वाले हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले जातिगत राजनीति सिर चढ़ कर बोलने लगी है. बात हो रही है मध्य प्रदेश के अलग-अलग शहरों में सवर्णों के उस आंदोलन की जिसके विरोध के चलते कई मंत्रियों, सांसदों की घेरेबंदी हो रही है और उन्हें आंदोलनकारियों से बचाने के लिए पीछे के दरवाजों से निकाला जा रहा है. कल देर रात सीधी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक सभा में उन पर चप्पलें भी फेंक दी गईं. दरअसल, पूरा मामला अनुसूचित जाति तथा जनजाति अत्याचार निवारण कानून को लेकर शुरू हुआ है. सवर्ण संगठनों का आरोप है कि एससी/एसटी वर्ग को खुश करने के चक्कर में केंद्र सरकार ने सवर्णों को इस कानून की ज्यादतियों का शिकार बनने का रास्ता खोल दिया है. बीजेपी के लिए सिरदर्द इसलिए बढ़ रहा है कि यह विरोध सिर्फ मध्य प्रदेश तक ही सीमित नहीं है. कई दूसरे राज्यों में भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदलने के लिए एससी/एसटी एक्ट में संशोधन का विरोध शुरू हो चुका है. इस मुद्दे पर 6 सितंबर को बंद का आव्हान भी किया गया है. इस जटिल सामाजिक मुद्दे के कई पहलू हैं. उन्हें एक-एक कर समझने की कोशिश करते हैं.
  • भारत की सियासत में चीन का क्या काम? लेकिन गाहे-बगाहे हर बात में चीन का जिक्र कुछ वैसे ही हो रहा है जैसे अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रूस का हुआ था. वैसे बात अभी वहां तक नहीं पहुंची है और न ही किसी ने वैसे आरोप लगाए हैं लेकिन हर बात में चीन का जिक्र कई सवाल खड़े जरूर कर रहा है.
  • फ़र्जी खबरों पर खूब बहस होती है. ये ख़बरें कहां से आती हैं, कौन लाता है, कौन फैलाता है, इस पर खूब बात होती है. लेकिन इस तरह की गलत खबरें जब सरकारों को लेकर हों और उनका पर्दाफाश होने में कई-कई दिन लग जाएंतो मंसूबों पर शक होना तो लाजिमी है. मैं बात कर रहा हूं केरल बाढ़ पर विदेशी मदद को लेकर आई ख़बर की.
  • जम्मू-कश्मीर में पहली बार किसी राजनीतिक व्यक्ति को राज्यपाल बनाकर केंद्र सरकार ने राज्य की जनता से सीधा रिश्ता बनाने का ठोस और महत्वपूर्ण संकेत दिया है. सतपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल ऐसे वक्त बनाया गया है जब राज्य में राज्यपाल शासन लगा है.
  • लोकसभा चुनाव अगर समय पर होते हैं तो सिर्फ आठ महीने ही बचे हैं. जहां जाइए अब लोग पूछते हुए मिल जाएंगे कि 2019 में क्या होगा? पान की दुकानों पर, चाय के ठेलों पर, भीड़ में, बाज़ार में, राजनीतिक चर्चाओं का दौर है. क्या मोदी वापसी करेंगे? या राहुल की किस्मत बुलंद होगी?
  • इमरान खान के पाकिस्तान की कमान संभालने के बाद भारत पाकिस्तान रिश्तों को लेकर पहल ही ग़लत अंदाज़ में शुरू हुई. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इमरान खान को प्रधानमंत्री बनने पर बधाई देने का एक पत्र लिखा. लेकिन इसे लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया.
  • एक देश एक चुनाव की बहस एक दिलचस्प मुकाम पर पहुंच गई है. बीजेपी की ओर से यह संकेत मिलते ही कि अगले साल लोक सभा चुनावों के साथ ग्यारह राज्यों के चुनाव भी कराए जा सकते हैं, राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. इस बात पर भी बहस हो रही है कि आखिर यह मुमकिन कैसे होगा?
  • असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से शुरू हुई बात अब बहुत आगे निकलती दिख रही है. बीजेपी के नेताओं के बयानों से साफ़ है कि पार्टी इसे सिर्फ असम तक ही सीमित रखना नहीं चाहती.
  • कांग्रेस उन पार्टियों का समर्थन हासिल नहीं कर सकी जो उससे और बीजेपी से समान दूरी रखना चाहते हैं. पहले कोशिश थी कि एनसीपी की वंदना चव्हाण को मुकाबले में उतारा जाए. लेकिन जब शरद पवार को बीजू जनता दल के नेता और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के समर्थन का भरोसा नहीं मिला तो उन्होंने चव्हाण के नाम पर ना कर दी.
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